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________________ लेखकीय निवेदन हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास के द्वितीय खण्ड में १७वीं शताब्दी (विक्रम) के हिन्दी जैन लेखकों की रचनाओं का विवरण दिया गया है, इसके कई उपविभाग करके अलग-अलग अध्यायों में ने का कोई सम्यक् आधार नहीं मिला । समस्त जैन साहित्य धर्मप्रधान है इसलिए सभी रचनाओं में प्रायः एक जैसी प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है अतः प्रवृत्तियों के आधार पर विभाजन संभव नहीं था । कोई ऐस | निर्विवाद युगपुरुष भी नहीं समझ में आया जिसके आधार पर विभाजन किया जाता । स्पष्ट है कि ऐसी स्थिति में इतिहास से संबंधित सभी अपेक्षायें पूरी नहीं की जा सकीं, इसलिए यह लेखकों की विविध रचनाओं का विवरण ही है । रचनाओं के उद्देश्य की एकरूपता - निवृत्ति, शम, मुक्ति और भव भवांतर के माध्यम से कर्मसिद्धांत की पुष्टि तथा भाषा की रूढ़िगत एकरूपता के चलते अधिकतर कृतियाँ उपदेश प्रधान और जैनधर्म के संदेश को प्रसारित करने वाली ही है । इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि बृहद् जैन हिन्दी साहित्य में श्रेष्ठ लेखकों / रचनाकारों अथवा श्रेष्ठ कृतियों का अभाव है | महाकवि बनारसीदास, मरमी सन्त आनन्दघन, महोपाध्याय यशोविजय आदि ऐसे अनेक महान लेखक हैं जिन पर जैन साहित्य गर्व कर सकता है, लेकिन इनके आधार पर विविध प्रवृत्तियों, रसों और विचारधाराओं का विभाजन संभव नहीं हो सका है । इस साहित्य में काव्य रूपों की अद्भुत विविधता है, जिनमें विशेष महापुरुषों के चरित्र के माध्यम से दृष्टान्तरूप में अनेक कथायें हैं । वे मनोरंजक होने के साथ ही अहिंसा, अपरिग्रह, शील, दान, तप आदि शाश्वत मानवीय मूल्यों का संदेश सबल ढंग से देने में सक्षम हैं । मध्ययुग के भक्ति आन्दोलन का प्रभाव इस शती की रचनाओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है । इसलिए भक्तिप्रधान उत्तमकोटि की अनेक रचनाओं को देखते हुए यह हिन्दी जैन साहित्य का भक्तियुग और स्वर्ण युग भी है । गुरुभक्ति, तीर्थङ्कर भक्ति एवं महापुरुषों ( शलाकापुरुषों ) के प्रति श्रद्धा भक्ति की तमाम श्रेष्ठ रचनायें उपलब्ध हैं, जिनमें रमणीयता एवं सरसता भी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002091
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1993
Total Pages704
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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