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________________ ५४९ मरु-गुर्जर जैन साहित्य ज्ञानाचार्य-आपकी दो रचनायें प्रसिद्ध हैं (१) "विल्हग 'पंचाशिका' और (२) 'शशिकला पंचाशिका' । दोनों प्रसिद्ध कश्मीरी कवि' विल्हण की रचनाओं पर आधारित हैं । यह रचना १६वीं शताब्दी के अन्तिम चरण की होनी चाहिये क्योंकि इसकी सं० १६२६ की हस्तलिखित प्रति प्राप्त है। यह रचना प्राचीन काव्यसुधा भाग ४ पृ० १५७ पर प्रकाशित है। इसके प्रकाशक शेठ हंसराज पुरुषोत्तम विश्राम भाव जी हैं। इसका प्रारम्भ इन पंक्तियों से हुआ है : 'मकरध्वज महिपति वर्णवं, जेहनू रूप अवनि अभिनवू, कुसुम बाण करिकुंजर चडिइ, जार प्रपाणि धराधडहडइ । कोदंड कामिनी तण टंकार, आगलि अलि झंझा झंकारि, पाखलि कोइलि कलरवकरइ, निर्मल छत्रश्वेतशिर धरइ।" इसमें नानारसों से युक्त अनेक मनोहारी वर्णन हैं किन्तु भाषा की अक्षमता के चलते मूल भाव आच्छादित हो गये हैं, यथा 'आपि वारु अक अवास, मणि माणिक घन संपूनास, दूरब प्रेम बिहि जण धणउ, पारन पामि कविते तणउ। कामि काजि कीधू चूपइ, खंति करी निरखउ थिरथइ, भणिसइ विल्हण वाणी तेह, ज्ञान भणइ रसि राता जेह ।' विल्हण की मूल रचना शृगार प्रधान है; उस में प्रेमानुभूति के नाना सरस प्रसंग है, उच्चकोटि का काव्यत्व है किन्तु ज्ञानाचार्य ने उन कोमल भावों पर भाषा का जो वस्त्र पहनाया है, उससे उसकी प्रकृत शोभा आच्छादित हो गई है। १. बिल्हण-यह कश्मीरी विद्वान् कवि था जो कश्मीर से चलकर गुजरात आया और पर्याप्त समय तक अनहिलवाडा में रहा । उस समय वहां राजा कर्णदेव राज्य करता था। यह कवि इससे पूर्व पंजाब के हाकिम क्षितिपाल के यहाँ रहा और उसकी पुत्री से प्रेम करने लगा था, फलतः क्षितिपालने कुपित होकर इसे हटा दिया। उस समय विल्हण को जो विरह जन्य स्वानुभूति हुई थी उसे उसने संस्कृत भाषा में 'विल्हण पंचाशिका' नाम से लिखा था। श्री ज्ञानाचार्य की 'विल्हण पंचाशिका' इसी रचना पर आधारित मरुगुर्जर भाषा में लिखी गई है। २. देसाई-० गु० क०-भाग १, पृ० १७३ और भाग ३ पृ. ६३६ ३. वही भाग १, पृ० १७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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