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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य 'संवत पनर सोलोतरइ मा० बीजउ श्रावण मास सु० शिवतिथि हूंती ऊजली ओ मा० सोमवार हूउ रास । इसकी अन्तिम कड़ी इस प्रकार है 'चंद सूरिज जा ऊगमइ ओ (मालंत ) मेरु गिरि श्रूयतार, सु० तां लगइ हरषिइ गाइओ मा०, स्वामी जंबू कुमार । सुणि सुन्दरे स्वामी जंबू कुमार ।११२ | १४वीं शताब्दी से १६वीं शती तक विनयचन्द नामक तीन विद्वान्लेखक हो गये हैं लेकिन मरुगुर्जर साहित्य के ये दूसरे विनयचन्द हैं । प्रथम विनयचन्द भी रत्नसिंह सूरि के शिष्य थे, ये भी रत्न सिंहसूरि के शिष्य हैं किन्तु प्रथम विनयचन्द १४वीं शताब्ती में हो गये जिनका विवरण यथा स्थान दिया जा चुका है । एक भट्टारक विनयचन्द थे जिन्होंने चूनड़ी और 'कल्याणकरास' लिखा । प्रस्तुत विनयचन्द तपागच्छीय रत्नसिंहसूरि के शिष्य और १६वीं शताब्दी के साहित्यकार एवं जैनाचार्य हैं । ४९५ विनयचू लागणिनी- आपको श्री अ० च० नाहटा ने 'हेमरत्नफागु' का रचयिता बताया है । किन्तु यह काव्य विनयचूला के आग्रह या आदेश पर लिखा गया प्रतीत होता है न कि स्वयं उनके द्वारा प्रणीत । इसके २१ वें छन्द में विनयचूला का नाम है किन्तु पंक्ति त्रुटित होने के कारण यह स्पष्ट नहीं है कि वे इसकी लेखिका हैं, यथा 'विनयमेरु अनुकूला, चूला गरिम निवास, ...मम लहर मणहर देसण भास | २१ |' 13 यह रचना 'प्राचीन फागु संग्रह' में प्रकाशित है । इसमें वस्तुतः फागु का कोई लक्षण नहीं मिलता । कृति के अन्त में लिखा है - इतिश्री हेमरत्न सूरि गुरु फागु विद्वषी विनयचूला गणि निबंधेन कृतम् ।' इससे लगता है कि यह रचना हेमरत्नसूरि के किसी शिष्य की है। हेमरत्न का समय १६वीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध बताया गया है अतः यह रचना भी उसी समय की होगी । इस फागु में हेमरत्न की प्रशस्ति है। तमाम नरनारी उनकी वंदना करते हैं और वसंत ऋतु में नृत्यगान करते हैं । बस इसी अर्थ में इसे फागु नाम दिया गया होगा। इस फागु के अनुसार हेमरत्न सूरि का जन्म खेतसी वंशीय भीमग के १. श्री मो० द० देसाई - जे० गु० क ० भाग १ पृ० ५२ और भाग ३ पृ० ४७२-४७३ २. श्री अ० च० नाहटा - जै० म० गु० क० पृ० १२० ३. प्राचीन फागु संग्रह पृ० ७७-७८ 'हेमरत्नसू रिफागु' For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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