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________________ मरु-गुर्जर की निरुक्ति का आदि काल है । इसके पश्चात् १६वीं से १९वीं शती की अवधि में लिखे गये राजस्थानी और गुजराती भाषा के जैन साहित्य को विद्वानों ने 'मध्ययुग' के नाम से अभिहित किया है । गुर्जर जैन साहित्य के प्रसिद्ध इतिहास लेखक श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई और राजस्थानी के विख्यात विद्वान् श्री अगरचन्द नाहटा दोनों इस काल-विभाजन से सहमत हैं। अतः प्रस्तुत ग्रंथ में मरु-गुर्जर जैन साहित्य का अभिप्राय १३वीं शताब्दी से लेकर १९ वीं शताब्दी के बीच लिखे गये मरु-गुर्जर भाषा के समग्र जैन साहित्य से है जिसका इतिवृत्त प्रस्तुत करना इस रचना का अभीष्ट है। ___ मरु और गुर्जर भाषा को एकता-मरु-गुर्जर के लिए विभिन्न विद्वानों ने अनेक नाम सुझाये हैं जिनमें पुरानी हिन्दी, पश्चिमी राजस्थानी, जुनी गुजराती और मरु-सौरठ आदिनाम उल्लेखनीय हैं किन्तु इन सभी शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची अर्थ में ही हुआ है। मूलतः १२वीं से १५वीं शताब्दी तक इनमें भाषा सम्बन्धी कोई अन्तर दष्टिगोचर नहीं होता है। इस अवधि में मरु और गुर्जर दोनों भाषायें मूलतः एक ही थीं। प्रसिद्ध भाषा-शास्त्री ग्रियर्सन ने लिखा है कि इनका अलगाव आधुनिक काल की बात है, ये दोनों एक ही भाषा की दो बोलियां हैं।' पुरानी हिन्दी और मरु तथा गुर्जर भाषाओं की तत्कालीन एकता पर डॉ० एल० पी० टेस्सीतोरी और डॉ० सुनीति कुमार चाटुा प्रभृति भाषाविदों ने भी पर्याप्त प्रकाश डाला है । डॉ० चाटुा ने इसे प्राचीन मरु या राजस्थानी कहा है। उन्होंने इसकी प्रशंसा में कहा है कि इसका साहित्य, विशेषतः मारवाड़ी का बड़ा सम्पन्न है।' उनका यह कथन कि राजस्थानी और गुजराती का उद्गम स्रोत एक ही प्राचीन पश्चिमी राज 1. The differentiation of Gujarati from modern dialect of Rajasthani is quite modern. Gujarati and Rajasthani are hence very closely connected and are infact little more than variant dialects of one and same language'. George Grierson-Linguistic Survey of India, Vol. I p. 170. 2. Gujarati and Rajasthani are derived from and onethe same source dialect to which the name old western Rajasthani has been given" Dr. Suniti Chatterjee 'Origin and Development of Bengali Language,' p. 9, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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