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१२ : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन
उपर्युक्त टीकाओं के अतिरिक्त वीरनन्दि ने मूलाचार के आधार पर 'आचारसार' ग्रन्थ की रचना की है । पं० आशाधर ने 'अनगार धर्मामृत' नामक ग्रन्थ की रचना में इसी का आधार लिया है। इस प्रकार अन्यान्य अनेक ग्रन्थ मूलाचार के आधार पर लिखे गये, जिनमें आज कुछ प्रकाशित हैं तो अनेक अप्रकाशित तथा अनुपलब्ध भी हैं । मूलाचार की गाथा संख्या
प्रस्तुत अध्ययन में मूलाचार की दो मुद्रित प्रतियों का विशेष उपयोग किया गया है । प्रथम दिगम्बर-श्वेताम्बर परम्परा के कुछ ग्रन्थों से मूलाचार की तुलना के लिए प्रास्ताविक में अनन्तकीर्ति ग्रन्थमाला गिरगांव, बम्बई से वी० नि० सं० २४४६ में प्रकाशित मूलाचार का उपयोग किया गया है । इसमें ग्रन्थकार का नाम आचार्य वट्टकेर उल्लिखित है। इसमें प्रत्येक अधिकारों की गाथा संख्या अलग-अलग न देकर बारहों अधिकारों की संख्या क्रमशः दी गई है, जिनमें कुल १२४३ गाथाएँ हैं ।
मूलाचार की द्वितीय मुद्रित प्रति माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, बम्बई से वि० सं० १९७७ एवं १९८० में दो भागों में अलग-अलग प्रकाशित हैं । विषयगत अध्ययन में इनका ही विशेष उपयोग किया गया है । इसमें कुल १२५२ गाथाएँ हैं। प्रथम चार अधिकारों को छोड़ शेष आठ अधिकारों की गाथाएँ प्रत्येक में अलग-अलग संख्या में दी गई है। प्रथम चार अधिकारों की गाथाएँ क्रमशः एक साथ दी गई हैं । इस प्रन्थ के भारम्भ में एवं कुछ अधिकारों के अन्त में ग्रन्थकर्ता का नाम आचार्य वट्टकेर उल्लिखित है। वृत्ति की अन्तिम प्रशस्ति के बाद एक पुष्पिका द्वारा आचार्य कुन्दकुन्द विरचित भी सूचित किया गया है ।
आचार्य कुन्दकुन्द मानी जाने वाली मूलाचार को तृतीय मुद्रितप्रति का भी यत्रतत्र उपयोग किया गया है । इसके आरम्भ में और ग्रन्थ समाप्ति में कर्ता का नाम आचार्य कुन्दकुन्द दिया गया है। वी० नि० सं० २४८४ में आचार्य शान्तिसागर दि० जैन जिनवाणी जीर्णोद्धारक संस्था एवं ग्रन्थ प्रकाशन समिति फलटण से यह प्रकाशित किया गया है । इसका भाषानुवाद पं० जिनदास पार्श्वनाथ फडकुले ने किया है जो कि आचार्य वसुनन्दि की वृत्ति के आधार पर किया गया मालूम पड़ता है । इस मूलाचार तथा उपर्युक्त मूलाचार के प्रतिपाद्य विषय समान है । अधिकारों के नाम और संख्या सब समान हैं। किन्तु अधिकारों के क्रम में थोड़ा अन्तर है । साथ ही इसमें गाथाएँ भी कुछ अधिक हैं। दोनों प्रकार की प्रतियों का अधिकार-क्रम और गाथा संख्या निम्नलिखित है :
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