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________________ जैन सिद्धान्त : ४८१ २. जल (अप् कायिक जीव) ... अवश्याय (ओस), हिम-बर्फ या ओला, महिका-कुहरा, हरतनु (हरतन्) वनस्पति के ऊपर की स्थूल (मोटी) जल बूदें, अणु-सूक्ष्मविन्दु रूप छोटी बूदें, शुद्धजल-चन्द्रकान्तमणि से उत्पन्न जल, उदक-झरने से उत्पन्न सामान्य जल उदक है और घनोदक-मेघ का जल अथवा धनोदधिवात जल-ये सब जलकायिक जीव है। इन्हीं के अन्तर्गत सरिता, सागर, तालाब, कुआं आदि से उत्पन्न जल भी आते हैं ।२ श्वेताम्बर परम्परा के प्रज्ञापनासूत्र में उपयुक्त जलकायिक भेदों के साथ ही अन्य नाम जैसे-करक (ओला), शीतोदक, उष्णोदक, क्षारौ दक, खट्टा उदक, अम्लोदक, लवणोदक, वारुणोदक (मदिरा के स्वाद वाला पानी), क्षीरोदक, धृतोदक, क्षोदोदक (ईख के रस जैसा पानी) और रसोदक का भी उल्लेख मिलता है ।. .... ३. तेजस् (अग्निकायिक जीव) ___ अंगार, ज्वाला, अचिस् (दीपक आदि की इधर-उधर उड़ती लौ (ज्वाला) का अग्र भाग), मुमुंर-कारीषाग्नि अर्थात् कण्डे की राख में मिले हुए भाग के कर्ण, शुद्धाग्नि-वन, विद्युत्, सूर्यकान्तमणि आदि से उत्पन्न अग्नि तथा सामान्य अग्निये सब तेजस्कायिक जीव हैं। प्रज्ञापना सूत्र में इनके साथ ही अलात (जलता हुआ काष्ठ), उल्का, विद्युत्, अनि (आकाश से गिरते हुए अग्निकण), निर्घात (बिजली का गिरना) रगड़ से उत्पन्न अग्नि के उल्लेख हैं।" ४. वायु - वायु के अनेक भेद हैं, इनमें कुछ अचित्त और कुछ सचित्त है। प्राणायाम, ध्यान आदि में भी वायुमण्डल तथा वायवी धारणाओं का प्रयोग किया जाता है। वात-सामान्य वायु, उद्धूम-धूमती हुई ऊपर की ओर जाने वाली वायु, उत्कलिकावात-नीचे की ओर बहने वाली वायु, मण्डलिकावात-पृथ्वी से लगती हुई चक्कर लगाने वाली (मण्डलाकार) वायु, गुंजावात-गूंजती हुई बहने वाली १. ओसाय हिमग महिगा हरदणु सुद्धोदगे घणुदगे य । ते जाण आउजीवा जाणित्ता परिहरेदव्वा ॥ मूलाचार ५।१३. २. मूलाचार वृत्ति ५।१३.. .. ३. प्रज्ञापना सूत्र १६... ४. इंगाल जाल अच्ची मुम्मुर सद्धागणी य अगणी य।. . .. .. ते जाण तेउजीवा जाणित्ता परिहरेदव्वा ॥ मूलाचार ५।१४. ५. प्रज्ञापना सूत्र १७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002088
Book TitleMulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size23 MB
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