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परिशिष्ट-अ : २२५
अवतंसा, केतुमती, वज्रसेना, रतिप्रिया, रोहिणी, नवमिका, ह्री, पुष्पवतो, भुजगा, भुजगवती, महाकच्छा, अपराजिता, सुघोषा, विमला, सुस्वरा, सरस्वती; सप्तम वर्ग में सूर्यप्रभा, आतपा, अचिमाली, प्रभंकरा; अष्टम वर्ग में चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अर्चिमाली, प्रभंकरा; नवें वर्ग में पद्मा, शिवा, सती, अंजू, रोहिणी, नवमिका, अचला, अप्सरा; दसवें वर्ग में कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता, वसुमित्रा, वसुन्धरा नामक भिक्षुणियों के उल्लेख हैं जिन्हें पुष्पचूला आर्या की शिष्याएँ कहा गया है ।
पोटिला - ज्ञाताधर्मकथा, १११४.
( महावीरकालीन जैन भिक्षुणियाँ )
चन्दना — कल्पसूत्र, १३५; आव० चू०, प्रथम भाग, पृ० ३२०. अंगारवती - आव० च०, प्रथम भाग, पृ० ९१.
जयन्ती – भगवती, ४४१-४३; बृहत्कल्पभाष्य, भाग तृतीय, ३३८६. देवानन्दा – कल्पसूत्र, २७, भगवती, ३८१-८२.
प्रभावती - उत्तरा० नि०, पृ० ९६; आव० चू०, द्वितीय भाग, पृ० १६४. मृगावती - आव० चू०, प्रथम भाग, पृ० ८८, १६५; आव० नि०, पृ० १०५५.
सुज्येष्ठा - आव० चू०, द्वितीय भाग, पृ० १६४-६६.
अन्तकृतदशांग सूत्र के सप्तम वर्ग में नंदा, नंदावती, नंदोत्तरा, नन्द श्रेणिका, मरुता, सुमरुता, महामरुता, मरुत्देवी, भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमनातिका, भूतदत्ता तथा अष्टम वर्ग में काली, सुकाली, महाकाली, कृष्णा, सुकृष्णा, महाकृष्णा, वीरकृष्णा, रामकृष्णा, पितृसेनकृष्णा, महासेनकृष्णा आदि आर्यायों का उल्लेख है ।
यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि महावीर की समकालीन जिन भिक्षुणियों का वर्णन जैन ग्रन्थों में उपलब्ध होता है, उनमें कुछ तो निश्चय ही ऐतिहासिक प्रतीत होती हैं । यथा - चन्दना, अंगारवती, प्रभावती, सुज्येष्ठा, मृगावती, जयन्ती आदि । जयन्ती को उदयन की बहन, मृगावती को उदयन की माता, अंगारवती को अवन्तिनरेश चण्ड प्रद्योत की पत्नी, प्रभावती तथा सुज्येष्ठा को प्रसिद्ध वैशाली नरेश चेटक की पुत्री कहा गया है । चन्दना महावीर की प्रमुख शिष्या तथा चम्पा - नरेश दधिवाहन की पुत्री बतायी गई है । चम्पा पर कौशाम्बी- नरेश शतानीक (उदयन का पिता) द्वारा आक्रमण करने का उल्लेख है । इन नरेशों की ऐतिहासिकता १५
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