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भिक्षुणी-संघ का विकास एवं स्थिति : २११ प्रारम्भ हो जाती है। इस सम्बन्ध में डॉ. अनन्त सदाशिव अल्तेकर का कथन है कि भिक्षुणी-संघ चौथी शताब्दी तक समाप्त हो गया था।' परन्तु उनके इस मत से सहमत होना कठिन है। बौद्ध भिक्षुणियों के अस्तित्व को सूचना ७वीं-८वीं शताब्दी तक प्राप्त होती है ।
पाँचवीं शती में तथा सातवीं शती के प्रारम्भ तथा अन्त में आने वाले चीनी यात्रियों ने देश में बौद्ध भिक्षुणियों का उल्लेख किया है। फाहियान' तथा ह्वेनसांग दोनों ने मथुरा में स्थविर आनन्द के स्तूप को बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा पूजा करते हुए देखा था। इसी प्रकार सातवीं शती के अन्त में आने वाले चीनी यात्री इत्सिग ने बौद्ध भिक्षुणियों की उपस्थिति का प्रमाण दिया है। इत्सिग को अपने देश (चीन) की भिक्षुणियों तथा भारत की भिक्षुणियों के मध्य कुछ भिन्नता दिखायी पड़ी थी। इत्सिग का वर्णन यह सूचित करता है कि उस समय तक अभी बौद्ध भिक्षुणियों का अस्तित्व था ।
इसके अतिरिक्त सातवीं-आठवीं शती में रचित संस्कृत साहित्य से भी बौद्ध भिक्षुणियों की सूचना मिलती है। सातवीं शताब्दी (हर्ष का राज्यकाल) में बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित में बौद्ध भिक्षुणियों के वर्तमान होने की सूचना मिलती है। राज्यश्री ताम्बुलवाहिनी पत्रलता से हर्ष के पास सन्देश भिजवाती है कि उसे काषाय वस्त्र धारण करने की अनुज्ञा दी जाये "अतः काषाय ग्रहणाभ्यनुज्ञयानु गृह्यतामयम् पुण्य
1. Nunneries had gone out of vogue by the 4th century A. D.
Chinese piligrims of the 5th and 7th century A. D. do not refer to them at all.
-Education in Ancient India., p. 220. 2. The Bhikshunis principally hononr the tower of Anand,
because it was Anand who requested the lord of the world to let women take orders.
--Buddhist Records of the Western World, Vol I, P. 22 3. Ibid, Vol. II, P. 213. 4. “Nuns in India are very different from those of China. They
support themselves by begging food, and live a poor and simple life" Takakuru--A Record of the Buddhist Practices, p. 80.
-Epigraphia Indica. Vol. 25, p. 34.
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