________________
संगठनात्मक व्यवस्था एवं दण्ड-प्रक्रिया : १५३ भिक्षुणियों के पाचित्तिय अपराध निम्न हैंभिक्खुनी भिक्षुणी पाचित्तिय पाचत्तिक (थेरवादी) (महासांघिक)
विषय (१) (२)
जो भिक्षुणी लहसुन खाये । जो भिक्षुणी गुह्य-स्थान (संबाधे) के रोम को बनाये। जो भिक्षुणी तलघातक (योनि पर थपक दे) करे। जो भिक्षुणी जतुमट्ठक (मैथुन-साधन) का प्रयोग करे। जो भिक्षुणी जल से अपनी योनि को अधिक गहराई तक धोये। भोजन करते समय भिक्षु की जल या पंखे
से सेवा करे। ७ ७८ जो भिक्षुणी कच्चे अनाज (आमकधन)
को खाये। १३८ . जो भिक्षुणी पेसाब या पाखाने को दीवार
के पीछे फेंके। ९ १३९, १४० जो भिक्षुणी पेशाब या पाखाने को हरियाली
पर फेंके। १२४ जो भिक्षुणी नृत्य देखे एवं गीत या वाद्य सुने । १२३ जो भिक्षुणी रात्रि के अन्धकार में पुरुष से
अकेले बात करे। १२ १२१ जो भिक्षुणी एकान्त में पुरुष से अकेले
बात करे। १३ १२० जो भिक्षुणी चौड़े रास्ते (अज्झोकासे) में
पुरुष से अकेले बात करे । जो भिक्षणी सड़क (रथियाय वा व्यहे वा सिंघाटके वा) पर पुरुष से अकेले बात करे।
१२२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org