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१५० : जैन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ था, इसीलिए इसे 'संघादिसेस' कहा जाता था।' बहुत सी भिक्षुणियाँ या एक भिक्षुणी न तो यह दण्ड दे सकती थी और न इसका निराकरण कर सकती थी। ___ महासांघिकों के विनय में इसे 'संघातिशेष' कहा गया है। इसे 'उपादिशेष' भी कहा जाता था, क्योंकि इस निकाय में यह पाराजिक के शेष के रूप में जाना जाता था। यहाँ 'संघ' का अर्थ भिक्ष अथवा भिक्षुणियों के संघ से नहीं है, अपितु नियमों के समूह' से है।' महासाधिकों का 'संघातिशेष' थेरवादियों के 'संघादिसेस' का संस्कृतीकरण प्रतीत होता है।
संघादिसेस की अपराधिनी भिक्षुणी को मानत्त का दण्ड दिया जाता था।
मानत्त-भिक्षुणी के लिए मानत्त नामक यह दण्ड १५ दिन का होता था। मानत्त दण्ड का प्रायश्चित्त कर रही भिक्षुणी की सहायता के लिए एक अन्य भिक्षुणी देने का विधान था, जिससे वह अपना मानत्त
१. 'आदिम्हि चेव सेसे च इच्छितब्बो अस्साति संघादिसेसो'
-समन्तपासादिका, भाग प्रथम, पृ० ५१८; भाग तृतीय, पृ० १४५८. २. 'न सम्बहुला न एका भिक्खुनी न एक पुग्गलो'-पाचित्तिय पालि,
पृ० ३२८. ३. 'संघातिशेषोउपादिशेषो'-भिक्षुणी विनय, $१३८.
'संघो ता नाम उच्चन्ति अष्ट पाराजिका धर्मा'-वही, ६१४०. 'Group of offences (Samgh) which is the supplement (Sosa) to the first group (upa + adi) the group of the Parajika offences, Samgh obviously does not mean herc the union or the order of Monkes and Nuns, but 'group of disciplinary offences'. -translated by Gustav Roth.
Bhiksuni Vinay, p. 103. ५. 'संघादिसेसो ति संधो वा तस्सा आपत्तिया मानत्तं देति'
-पाचित्तिय पालि, पृ० ३००, पृ० ३२८.
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