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________________ अध्याय-३ सिद्धसेन दिवाकर की कृतियाँ श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों में सिद्धसेन के नाम पर जो ग्रन्थ चढ़े हुए हैं उनमें कितने ग्रन्थ ऐसे हैं जो सिद्धसेन दिवाकर के ग्रन्थ न होकर उत्तरवर्ती सिद्धसेनों की कृतियाँ हैं, जैसे- (१) जीतकल्पचूर्णि, (२) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र की टीका (३) प्रवचनसारोद्धार की वृत्ति, (४) एकविंशतिस्थानप्रकरण एवं (५) जिनसहस्त्रनामस्तोत्र' ( शक्रस्तव) नामक गद्यस्तोत्र | कुछ ग्रन्थ ऐसे हैं जिनका सिद्धसेन नाम के साथ उल्लेख तो मिलता है परन्तु वे उपलब्ध नहीं है, जैसे(१) बृहत्षड्दर्शनसमुच्चय, हो सकता है कि यह ग्रन्थ हरिभद्रसूरि का षड्दर्शन समुच्चय ही हो और किसी गलती से सूरत के सेठ भगवान दास की प्राइवेट लाइब्रेरी की रिपोर्ट में दर्ज हो गया हो, जहाँ से जैन ग्रन्थावली में लिया गया है। इस पर गुणरत्न टीका का भी उल्लेख है, और हरिभद्र के षड्दर्शन समुच्चय पर भी गुणरत्न टीका है । (२) विषोग्रहशमन विधि, जिसका उल्लेख उग्रादित्याचार्य (विक्रम ९वीं शताब्दी) के कल्याणकारक वैद्यक ग्रंथ (२०-८५) में पाया जाता है, ‍ (३) नीतिसारपुराण, जिसका उल्लेख केशवसेनसूरि (वि० सं० १६८८) कृत कर्णामृतपुराण (श्लोक सं० १५६३००) में मिलता है, एवं (४) प्रमाणद्वात्रिंशिका । ४ सिद्धसेन दिवाकर के जो उपलब्ध ग्रन्थ हैं, वे हैं २ १. सन्मतिसूत्र २. द्वात्रिंशद्द्वात्रिंशिका १. ३. न्यायावतार ४. कल्याणमन्दिरस्तोत्र । सन्मति सूत्र सन्मतिसूत्र जैनवाङ्मय का एक विशिष्ट और गौरवपूर्ण ग्रन्थ है जो श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों में समानरूप से माना जाता है। न्याय और दर्शन का यह अनूठा ग्रन्थ है जिसकी गणना जैन शासन के दर्शन प्रभावक ग्रन्थों में की जाती है। श्वेताम्बरों में यह 'सम्मतितर्क' सम्मतितर्कप्रकरण तथा सम्मतिप्रकरण जैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002085
Book TitleSiddhsen Diwakar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1997
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size5 MB
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