SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृत आगमेतर जैन श्रीकृष्ण साहित्य वीरश्रेष्ठ श्रीकृष्ण जैनियों की दृष्टि में उपर्युक्त स्वरूप में श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व जैन ग्रन्थों में चित्रित मिलता है। जैन दृष्टि से श्रीकृष्ण 'वीरश्रेष्ठ' रूप में सम्मान्य हैं । वे शलाकापुरुष व नवम वासुदेव हैं। वासुदेव परम्परा का प्रत्येक महापुरुष महान वीर, अर्द्धचक्रवर्ती शासक होता है। श्रीकृष्ण का भी यही स्वरूप रहा है। पैतादयगिरि (विन्ध्याचल) से समुद्र पर्यन्त समस्त दक्षिण भारत के वे एकछत्र-अधिपति थे। बारवइए नयरीए अद्वभरहस्स य समस्स य आहेवच्चं जाव विहरइ । -अन्तकृदशा सूत्र दक्षिण भरतार्द्ध के स्वामी श्रीकृष्ण का उत्तर भारत की राजनीति में भी वर्चस्व रहा। उन्होंने अपने सशक्त प्रतिद्वन्द्वी जरासंध व उसके सहायक कोरवों को पराभूत करके हस्तिनापुर के राज्यासन पर पांडवों को प्रतिष्ठित कर दिया था। यही नहीं, अपित ३० भारत के तथा अन्य अनेक अनीतिकारी और अत्याचारी शासकों का नाशकर उनके स्थान पर अनेक उत्तराधिकारियों को शासक बनाकर भी श्रीकृष्ण ने अपना यह वर्चस्व सिद्ध कर दिया था । एक प्रकार से उन्हें अखिल भारतीय राजनैतिक महत्ता प्राप्त थी। उन्होंने देश की विशृंखलित राजनैतिक शक्तियों को संगठित करने का स्तुत्य और सफल प्रयत्न भी किया। जैन साहित्य की एक और भी यह उपलब्धि रही है कि इसके माध्यम से भारतीय इतिहास के कतिपय ऐसे तथ्य प्रकाश में आए हैं, जो सामान्यतः लप्त प्राय रहे हैं। ये सामान्य ऐतिहासिक तथ्य इस प्रकार हैं : (१) तत्कालीन जैन धर्म के उच्चतम नेता भगवान अरिष्टनेमि वासुदेव श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे। (२) ये २२वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के रूप में इतिहासख्यात रहे हैं । यह बात और है कि कतिपय विद्वज्जन भगवान महावीर २. शलाकापुरुष का तात्पर्य महापुरुष से है। जैन परंपरा में ६३ शलाका पुरुष हुए हैं । इसमें से २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ६ वासुदेव, ६ बलदेव, ६ प्रतिवासुदेव भी होते हैं। ३. नवमो वासुदेवोयमिति देवा जगुस्तदा । -हरिवंशपुराण ५५६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy