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हिन्दी जैन श्रीकृष्ण मुक्तक साहित्य
स्वरूप :
हिंदी जैन कृष्ण मुक्तक काव्य साहित्य अन्य भारतीय काव्य साहित्य की विधाओं को तरह ही अनेक रूपों में रचा गया है जिसमें अनेक प्रकार के उपक्रम मिलेंगे। जैन मुक्तक काव्य में रास और पुराण तथा अन्य साहित्य को हम इसके पूर्व के अध्याय में विवेचित कर आए हैं। वहां पर कहीं चरित काव्य और आख्यानक काव्य को भी स्थान दे दिया है। यहां पर विशेष रूप से फागु, चौपाई, बेली, चंद्रिका, बारहमासा जैसे मक्तक काव्य रचनाओं का समावेश किया गया है। इन जैन मक्तक काव्य रचनाओं में कृष्ण कहीं पर हैं तो कहीं पर नेमिनाथ जी हैं और कहीं पर ये दोनों न होकर बलभद्र और राजीमती जैसे अन्य पात्र हो हैं। इसकी एक और विशेषता यह है कि १२ मासा की परंपरा जैन कवियों ने राजीमती को लेकर लोक-गीतों के रूप में रची है इसलिए इनकी समस्तं कृतियां मिलना संभव नहीं है। हमने कण्ठाभरण के रूप में कतिपय उदाहरण अंत में प्रस्तुत कर दिए हैं जो उनके भीतर की काव्यानुभूति की सरसता और विरहजन्य भावना पर प्रकाश डालती हैं। हमारे इस शोध का यह एक नवीन व मौलिक प्रयत्न है। विषय-परंपरा :
जैन साहित्य में श्रीकृष्ण विषयक स्फुट पदों की मुक्तक रचनाएं भी मिलती हैं । इन पदों में श्रीकृष्ण चरित्र के किसो प्रसंग विशेष की कोई झलक मिल जाती है । जैन मुक्तक काव्यकारों ने प्रायः आध्यात्मिक पद ही रचे हैं। इन पदों में वर्ण्यविचार या भाव विशेषकर विवेचन करने के क्रम में उदाहरण, दृष्टांत आदि के रूप में प्रख्यात पौराणिक आख्यानों का आश्रय लिया गया है। इसी क्रम में स्फुट पदों में श्रीकृष्ण चरित को भी स्थान मिला है । प्रकार के कथांश जैन आध्यात्मिक एवं दार्शनिक मान्यताओं के पोषक और व्याख्याता रूप में प्रयुक्त हुए हैं, यथा
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