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________________ २२२ जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य (३) दोनों कृतियाँ इस अध्याय की अन्य कृतियों की तरह ही जैन वीतराग रस की प्रस्थापना करती हैं। पर, ये दो रचनाएं प्रद्युम्न रास और उसमें भी गजसुकुमाल रास जैन दर्शन और वैराग्य का सुन्दर आदर्श प्रस्तुत करती हैं। यह एक नया तथ्य है। नेमिनाथ, पंचपांडव, प्रद्युम्न और गजसुकुमाल के चरित्र-चित्रण श्रीकृष्ण के साथ अपनी एक अलग कोटि ही प्रस्तुत करते हैं। (५) मेरी शोध दृष्टि में गजसुकुमाल का चरित्र आरंभ से अंत तक एक उज्ज्वल और सर्वोत्तम मुनि चरित्र है । तथ्य और निष्कर्ष उपादेय और महत्वपूर्ण हैं। श्रीकृष्ण चरित्र एवं भ० नेमिनाथ से सम्बन्धित निम्नोक्त रास, फागु, धवल, विवाहलो, गीत आदि साहित्य भी दष्टव्य एवं अध्येतव्य हैं। क्र० कृति नाम रचयिता रचनाकाल १. नेमिनाथ चतुष्पदी विनयचन्द्रसूरि १४वीं शदी २. नेमिरास कवि पल्हण १३वीं , ३. नेमिनाथ फागु कवि पद्म १४वीं , ४. " " राजशेखरसूरि(मलधार ग०) १५वीं ,, ५. नेमीश्वरचरित फागबन्ध माणिक्यसुन्दरसूरि ६. नेमिनाथ धवल जयशेखरसूरि १५वीं , ७. नेमिनाथ फाग १५वीं , ८. नेमिनाथ नवरस फाग रत्नमंडनगणि ६. नेमिनाथ फाग कवि कान्ह १०. नेमिनाथरास सोमसुन्दरसूरि शिष्य १६वीं , ११. नेमिनाथ वसन्त फुलड़ा मतिशेखर १२. नेमिनाथ चन्द्राउला . गुणनिधानसूरि शिष्य १३. नेमिनाथ धवल ब्रह्ममुनि-विनयदेवसूरि १४. पंचपाण्डव सज्झाय कवियण १५. यादवरास पुण्यरत्न १६. नेमि परमानन्द बेलि जयवल्लभ १७. प्रद्यम्नकुमार चौपाई कमलशेखर १७वीं ,, १५वीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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