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________________ १६० जैन - परंपरा में श्रीकृष्ण साहिय "वासुदेव” हैं और अधम, आततायी, अन्यायी एवं अत्याचारी जनों से पृथ्वी को भार - मुक्त करने वाले हैं । श्री महावीर कोटिया की मान्यता है कि आसन्न - भूतकाल में ही लगभग पचास ऐसे ग्रंथ खोजे गये हैं जिनकी गणना हिंदी जैन श्रीकृष्ण साहित्य की परंपरा में की जा सकती है । इनमें से कतिपय ग्रंथ काव्य की दृष्टि से अति सुंदर और उत्तम हैं । आदिकाल की परिधि में आने वाले ग्रंथों को उन्होंने विशेष उल्लेखनीय माना है । भाषा शास्त्र की दृष्टि से भी इन ग्रंथों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी जैन कृष्ण चरित संबंधी प्रमुख रचनाएँ निम्नानुसार हैं कवि का नाम १. नेमिनाथ रास २. गजसुकुमाल रास ३. प्रद्युम्न चरित ४. ... रंगसागर नेमि फागु ५. सुरंगाभिध नेमिफागु ६. हरिवंशपुराण ७. नेमिनाथ फागु ८. बलिभद्र चौपई ६. नेमिनाथ रास १०. प्रद्युम्नरासो कृति का नाम सुमतिगणि रचना काल १२३८ ई० afa ल्हण (देवेंद्र सूरि ) : १३ वीं शताब्दी कवि संधारु * Jain Education International सोमसुंदरसूरि धनदेव गणि ब्रह्मजिनदास' जयशेखरसूरि कवि यशोधर' मुनि पुण्य रतन 10 ब्रह्म रायमल 11 १३५४ ई० १४२६ ई० १४४५ ई० १४६३ ई० १५वीं शताब्दी २. हस्तलिखित प्रति जैसलमेर दुर्ग शास्त्र भण्डार ३. आदिकाल की प्रामाणिक हिन्दी रचनाएं, पृ० ५७ से ६०. सं. डा. गणपति चंद्रगुप्त ४. सं. पं. चैनसुखदास न्यायतीर्थ व डा. कस्तुरचन्द कासलीवाल For Private & Personal Use Only १५२८ ई० १५२६ ई० १५७१ ई० ५. वही - पृ. ११६ से १२६ ६. हिन्दी की आदि और मध्यकालीन फागु कृतियां, पृ. १३६ से १५८ ७. हस्तलिखित प्रति खण्डेलवाल दिगंबर जैन मन्दिर, उदयपुर ८. वही, जैसे पांच में है । ६. अप्रकाशित १०. अप्रकाशित, प्रति उपलब्ध दिगंबर जैन मन्दिर ठोलियान, ११. प्रति उपलब्ध आमेरशास्त्र भण्डार, जयपुर जयपुर www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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