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समकालीन तकशास्त्रों के सन्दर्भ में सप्तभंगी : एक मूल्यांकन
१९७ P{AB} = P {A} - P{B} P{AC}=P SA} - P {C}
P{BC}=P {B} • PIC} (Where - P= Probability and A, B and Care independent events).
इसी प्रकार तीनों घटनाओं के सहगामी सम्बन्धों को निम्न रूप में सूचित किया जा सकता है
P{ABC}==P {A} • P {B} • P{C} यद्यपि सप्तभंगी के सभी भंग न तो स्वतन्त्र घटनाएं हैं और न सप्तभंगी का "स्यात्" पद संभाव्य ही है तथापि सप्तभंगी के साथ उपयुक्त सिद्धान्त की आकारिक समानता है । इसलिए यदि उक्त सिद्धान्त से आकार ग्रहण किया जाय तो सप्तभंगी का प्रारूप ह-ब-ह वैसा ही बनेगा जैसा कि उपर्युक्त सिद्धान्त का है। यदि सप्तभंगी के मूलभूत भंगों स्यादस्ति, स्यान्नास्ति और स्यादवक्तव्य को क्रमशः A, B और C तथा परिमाणक रूप "स्यात्" पद को Pसे सम्बोधित किया जाय तो सप्तभंगी के शेष चार भंगों के प्रारूप इस प्रकार होंगे:P(A-B) = P(A). P(-B) स्यादस्ति च स्यान्नास्ति । P(A-C) = P(A) P( C) स्यादस्ति च स्यादवक्तव्य । P(-B-C) = P(-B) P(C) स्यान्नास्ति च स्यादवक्तव्य । P(A- B-C) = P(A) P(-B) P(C) स्यादस्ति च स्यान्नास्ति
च स्यादवक्तव्य । यहाँ स्यात् = P, अस्ति = A, नास्ति = (-B), अवक्तव्य = (-C) और च = ' (संयोजक) हैं।
इस प्रकार सम्पूर्ण सप्तभंगी का प्रतीकात्मक प्रारूप निम्नलिखित प्रकार होगा
(१) स्यादस्ति = P (A) (२) स्यान्नास्ति = P (-B) (३) स्यादवक्तव्य = P (-C) (४) स्यादस्ति च नास्ति = P (A-B) (५) स्यादस्ति च अवक्तव्य =P (A-C) (६) स्यान्नास्ति च अवक्तव्य = P (B-C) (७) स्यादस्ति च नास्ति चावक्तव्य = P (A:-B-C)
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