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________________ १२३ शिक्षा-पद्धति के सम्बन्ध में है तो उसका उत्तर होगा- मनुष्य उनसे उत्तम है। यदि इस प्रश्न का सम्बन्ध देवताओं से है तो वह उनसे अधम है। स्थापनीय- जिस प्रश्न का उत्तर बिल्कुल छोड़ देने से ही दिया जाता है, जैसेक्या पंचस्कन्ध तथा जीवित प्राणी (सत्व) एक ही है? इस प्रश्न का उत्तर छोड़ देने में ही दिया जा सकता है क्योंकि बौद्ध परम्परा के अनुसार सत्व कोई है ही नहीं। इन चारों प्रकार को जाननेवाला दुर्विजय, गम्भीर, अनाक्रमणीय, अर्थ-अनर्थ का जानकार और पण्डित होता है।८७ उपदेश-विधि _इस विधि में गुरु-शिष्य को व्याख्यान द्वारा शिक्षा प्रदान करते थे। वर्तमान में भी यह विधि बहुत लोकप्रिय है। स्वयं भगवान् बुद्ध ने उपदेश-विधि के द्वारा सर्वप्रथम सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को शिक्षा दी थी। उपदेश देना कोई बन्धन नहीं है। एक बार भगवान् बुद्ध से शक नामक एक यक्ष ने कहा कि जिसकी सभी गाँठे कट गयी हों, स्मृतिमान् और विमुक्त हुए आप श्रमण को यह अच्छा नहीं लगता कि दूसरों को उपदेश देते रहे। भगवान् ने कहा शक! किसी तरह भी किसी का संवास हो जाता है, तो ज्ञानी पुरुष के मन में उसके प्रति अनुकम्पा हो जाती है, प्रसन्न मन से जो दूसरे को उपदेश देता है, उससे वह बन्धन में नहीं पड़ता, अपनी अनुकम्पा अपने से पैदा होती है।८९ अर्थात् उपदेश देने से मन को शान्ति मिलती है तथा वह बन्धन में नहीं पड़ता है। विनयपिटक में कहा गया है कि शिष्य को उपदेश ग्रहण करना चाहिए या स्वयं उपदेश करे या दूसरे से इसके लिए प्रार्थना करे।८८ प्रमाण-विधि ___अज्ञात अर्थों को प्रमाण-विधि के द्वारा प्रकाशित किया जाता था। प्रमाण को परिभाषित करते हुए 'प्रमाणवार्तिक'९° में कहा गया है- प्रमाण वह ज्ञान है जो अज्ञात अर्थ को प्रकाशित करता है और वस्तुस्थिति के विरुद्ध कभी नहीं जाता, वह अविसंवादी होता है। प्रमाण तथा वस्तुस्थिति में किसी प्रकार विसंवाद/असामञ्जस्य नहीं होता। जो ज्ञान कल्पना के ऊपर अवलम्बित रहता है वह विसंवादी होता है तथा जो ज्ञान अर्थ-क्रिया प्रसन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002081
Book TitleJain evam Bauddh Shiksha Darshan Ek Tulnatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2003
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size10 MB
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