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शोध छात्र के रूप में कार्य प्रारम्भ किया था। सन् १९८९ में मुझे इस विषय पर पीएच० डी० की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस कार्य के प्रणयन में जो भी मेरे पथ-प्रदर्शक एवं सहायक रहे हैं उनमें सर्वप्रथम मैं गुरुद्वय प्रो०हरिश्चन्द्र सिंह राठौर' शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं प्रो०बद्रीनाथ सिंह, दर्शन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रति श्रद्धावनत हूँ जिनके सस्नेह मार्गदर्शन एवं निर्देशन में प्रस्तुत कार्य पूर्ण हो सका। मेरी अनियमितताओं एवं त्रुटियों पर लेशमात्र भी ध्यान न देकर गुरुद्वय सदा मुझे अपने कार्य के लिये उत्साहित करते रहे। अत: पुनश्च श्रद्धेय गुरुद्वय के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
विशेष रूप से प्रो०सागरमल जैन, पूर्व निदेशक एवं सचिव, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी का आभारी हूँ जिन्होंने मुझे इस विषय पर कार्य करने की सलाह दी तथा समय-समय पर शोध-सम्बन्धी कठिनाईयों को भी दूर करते रहे, अत: उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
प्रो० लक्ष्मीनिधि शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, दर्शन विभाग, काहि०वि०वि०, वाराणसी), प्रो०रामजीसिंह (पूर्व कुलपति, जैन विश्व भारती, लाडनूं), प्रो० रघुनाथ गिरि (पूर्व अध्यक्ष, दर्शन विभाग, म०गा० काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो० मृत्युञ्जय नारायण सिन्हा (पूर्व अध्यक्ष, दर्शन विभाग, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर), प्रो०शच्चीन्द्र कुमार सिंह (अध्यक्ष, दर्शन विभाग, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर), प्रोरेवतीरमण पाण्डेय ( कुलपति, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर), प्रो० रामलाल सिंह ( दर्शन विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), प्रो०शम्भूनाथ सिंह ( अध्यक्ष, समाजकार्य विभाग, मगा० काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो०परमानन्द सिंह ( अध्यक्ष, इतिहास विभाग, म०गा० काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो०रघुवीर सिंह तोमर' ( राजनीतिशास्त्र विभाग, म०गा० काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो०गीतारानी अग्रवाल ( अध्यक्ष, दर्शन विभाग, म०गा० काशी विद्यापीठ, वाराणसी), प्रो०कमलाकर मिश्र (पूर्व अध्यक्ष, दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी), प्रो०डी०ए०गंगाधर ( अध्यक्ष, दर्शन विभाग, का०हि० वि०वि०, वाराणसी), प्रो०उमेशचन्द्र दूबे (दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०), प्रो०एस०विजय कुमार (दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी), प्रो० मुकुलराज मेहता (दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी) एवं प्रो०कृपाशंकर जी (दर्शन विभाग, का०हि०वि०वि०, वाराणसी) आदि गुरुवर्य का हृदय से आभारी हूँ जिनलोगों ने सदा मुझे शिक्षा जगत में अग्रसर होने के लिये प्रेरित किया है।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो०महेश्वरी प्रसाद एवं मेरे सहयोगी डॉ.अशोक कुमार सिंह, डॉ०शिवप्रसाद जी, डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, श्री ओमप्रकाश सिंह, श्री राजेश
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