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माना था। क्योंकि गांधीजी ने राजनीतिक क्षेत्र में अपने कार्य करने की अदम्य शक्ति का स्रोत आध्यात्मिक शक्ति को बताया है। उनकी आध्यात्मिक साधना का मूल स्रोत आत्मशुद्धि है। इसीलिये उन्होंने आध्यात्मिक साधना के मूल स्तंभ सत्यादि पंच महाव्रतों को रखा। इसके अतिरिक्त अन्य भी उनके साधना सूत्र हैं।
___ गांधीजी की साधना पद्धति के एकादश व्रत हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं :- १) सत्य, २) अहिंसा, ३) ब्रह्मचर्य, ४) इंद्रिय निग्रह, ५) अस्तेय, ६) अपरिग्रह, ७) स्वदेशी, ८) अभयव्रत, ९) अस्पृश्यता, १०) देशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा, ११) शरीर श्रम। उन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से आध्यात्मिक साधना का स्तर कई शब्दावली में समझाने का प्रयत्न किया। राजनीतिक चेतना की दृष्टि से गांधी की साधना पद्धति "सत्याग्रह' विश्व में एक नई क्रांति की जन्मदाता बनी।
__गांधीजी की दृष्टि से सत्य की साधना ही ध्यान साधना है। समग्र सत्य की साधना ही मन को एकाग्र करती है। सत्यशील साधक ही प्रार्थना के माध्यम से ध्यान की अवस्था में पहुंचता है। मन को एकाग्र करने की यह परम प्रक्रिया है। गांधी की दृष्टि से यहीं ध्यानयोग है।
४) रवीन्द्रनाथ टैगोर (ठाकुर) की साधना पद्धति :- रवीन्द्र युगचेतना के प्रवर्तक कहे जा सकते हैं, क्योंकि उन्होंने काव्य कला के माध्यम से अनेक नवीन दिशाओं का उद्घाटन किया। वे उच्चकोटि के साधक, कवि और योगी थे। इसीलिए तो उन्हें आधुनिक भारतीय साहित्य-बोध के जनक और नवीनयुग के आदि कवि माना है। क्योंकि उनकी साधना पद्धति का माध्यम कविता और कला थी। काव्य कला को ही वे ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताते हैं। गीतांजलि में विभिन्न साधना पद्धतियों का दिग्दर्शन किया है।
और काव्य सौष्ठव से ध्यानयोग की पद्धति स्पष्ट की है। उनका कथन है, कि वैराग्य ही मेरी मुक्ति का साधन नहीं है, बल्कि अनुराग के पाश से ही मुझे मुक्ति के आनंद का अनुभव होता है। प्रेम ही भक्तियोग का अंग है। भगवान के निकट पहुंचने में अनुराग ही परम साधन है।३५ आत्मा अनन्त में विचरण करती है। उसका साक्षात्कार करना ही परम मुक्ति पाना है।
अशुभ से हटकर शुभ में प्रवृत्ति करना अर्थात् अपूर्णता से उन्मुख बनकर पूर्णता के सन्मुख होना ही जीवन का सही आनंद है। यह कविता के माध्यम से मिल सकता है। कविता की तान में तल्लीन होना ही ध्यानयोग है। इसी प्रक्रिया से ईश्वरत्व की प्राप्ति होती है। अतः रवीन्द्र की मुख्य साधना पद्धति काव्य कला का आनंद है।
जैन साधना पद्धति में ध्यान योग
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