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३) मच्छरों का झुण्ड महावीर पर छोड़ा। वे खून पीने लगे। ४) तीक्ष्णमुखी दीमकें उत्पन्न की। वे महावीर के शरीर को कांटने लगी। ५) जहरीले बिच्छुओं की सेना महावीर पर छोड़ी। वे डंख देने लगी। ६) नेवले उत्पन्न करके शरीर पर छोड़े। वे शरीर में स्थित मांसखण्ड को छिन्न-भिन्न
करने लगे। ७) भीमकाय विषधर सर्प उत्पन्न किये। वे महावीर को पुनः पुनः कांटने लगे। ८) चूहे उत्पन्न करके महावीर के शरीर पर छोड़े। वे तीक्ष्ण दांतों से उन्हें कांटने लगे।
कटे घाव पर मूत्र करते थे। ९) लम्बी सूंड वाले हाथी बनाकर, आकाश में पुनः पुनः उछाला, नीचे गिराया, पैरों
से रोंदा और उनकी छाती में तीक्ष्ण दातों से प्रहार किया। १०) हाथी की भांति हथिनी बनाई, उसने भी महावीर को अनेक कष्ट दिये। ११) बीभत्स पिशाच का रूप बनाया। पैनी बर्थी से मारा। १२) विकराल व्याघ्र का रूप बनाकर महावीर के दांतों और नखों को बिदारा। १३) माता त्रिशला और पिता सिद्धार्थ का रूप बनाकर करुण क्रन्दन करने लगा। १४) दोनों पैरों के बीच अग्नि जलाकर भोजन पकाने की चेष्टा की। १५) चाण्डाल का रूप बनाकर महावीर के शरीर पर पक्षियों के पिंजरे लटकाये।
उन्होंने अपने पंजों और चोंच से महावीर पर प्रहार किये। १६) आंधी का रूप बनाया। उसमें महावीर को कई बार गगन में उड़ाया और नीचे
गिराया। १७) कलंकलिका (चक्राकार) वायु उत्पन्न की। उसमें महावीर को चक्र की भांति
घुमाया। १८) कालचक्र बनाया। महावीर जमीन में घुटनों तक धंस गये। १९) देव बनकर महावीर के पास आकर बोलने लगा कि "स्वर्ग चाहिये या मोक्ष"। २०) अप्सरा का रूप बनाया। विभिन्न हाव भाव और विभ्रम-विलास से महावीर को _ विचलित करने का प्रयत्न किया।
एक रात्री के बीस उपसर्ग से भी महावीर विचलित नहीं हुए। इस प्रकार संगम२९ लगातार छह मास तक महावीर को कष्ट देता रहा। महावीर परीषह - उपसर्ग को समभाव
ध्यान का मूल्यांकन
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