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________________ ३२२ जैन योग : सिद्धान्त और साधना जुकाम के रोग में तो स्वर-विज्ञान अथवा स्वर-नियमन क्रिया कों पश्चिमी वैज्ञानिक और चिकित्सक भी उपयोगी मानते हैं । Chronic cough, cold, catarrah, aesthma में वे रोगी को breathing exercise की सलाह देते हैं। योगी नाड़ी-शुद्धि द्वारा शारीरिक और मानसिक स्वस्थता प्राप्त करता है। वह विपरीत वातावरण में भी स्वस्थ तथा नीरोग रहता है और स्वस्थ चित्त से योग साधना-प्राण साधना करता है। __इतना तो निश्चित है कि स्वस्थ तन-मन के अभाव में किसी भी प्रकार की साधना नहीं की जा सकती और न उसमें सफलता ही प्राप्त की जा सकती है, अतः स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन का होना आवश्यक है। नाड़ी-शुद्धि का योग साधक के लिए यही उपयोग है और इसीलिए वह स्वरनियमन करता है, जिससे कि सुचारु रूप से प्राणायाम की साधना करके प्राण-शक्ति को शक्तिशाली बना सके । प्राणायाम प्राणायाम, प्राण-साधना का अन्तिम सोपान है। प्राणायाम को अंग्रेजी में breathing exercise कहते हैं। प्राणायाम की साधना से साधक को अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं, चमत्कारिक सिद्धियाँ तथा लब्धियाँ प्राप्त होती हैं, उसका मनोबल, वचनबल तथा कायबल बढ़ता है, वचनसिद्धि प्राप्त होती है, अपने विचारों से दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता आती है, उसके व्यक्तित्व में चुम्बकीय शक्ति का विकास होता है, तेजस् शरीर का आभामंडल शक्तिशाली बनता है, यहाँ तक कि उसकी अन्तष्टि का विकास हो जाता है और वह इतना सक्षम हो जाता है कि अपने ज्ञान-नेत्र (इसे योग की भाषा में 'तोसरा नेत्र'-third eye कहा जाता है) से दूसरों से सूक्ष्म शरीर को देख सकता है, उनके विचारों को जान सकता है और भूत-भविष्य को जानकारी भी उसे हो जाती है । । वस्तुतः प्राणायाम हो प्राण-साधना है। प्राणायाम के तीन भेद हैं-पूरक, कुम्भक, रेचक । पूरक में साधक वायु को अन्दर खींचता (inhale) है, कुम्भक में वायु को अन्दर किसी एक स्थान पर यथा नाभिस्थान, हृदयस्थान आदि पर रोकता है और रेचक में वायु को बाहर निकाल (exhale) देता है। इन तीनों के समय का अनुपात १:४:२ होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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