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मनो यस्य वशे तस्य,
. भवेत्सर्वं जगद्वशे । मनसस्तु वशे योऽस्ति . स सर्वजगतो वशे ॥ .
-जिस साधक का मन उसके वश में होता है, उसके वश में सारा संसार हो जाता है । इसके विपरीत जो मन के वश में होता है, वह सारे संसार के वश में हो जाता है।
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मन के सधने से खुलें,
शक्ति के सब द्वार । है सुख-इच्छुक के लिए,
उत्तम यह उपचार ॥
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