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ध्यानयोग साधना २६५
उत्तरसाधक ने अपनी विवशता बताई - गुरुदेव ! बाहर देखिए, क्या हो रहा है ? ऐसे संकट के समय मैं और क्या करता ? मेरे पास और उपाय ही क्या था ?
जैसी अघट घटना आचार्य पुष्यमित्र के साथ घटित हुई, वैसी, संभव है, अन्य साधकों के साथ भी घटित हुई हों। ऐसी घटनाएँ भी महाप्राणध्यान साधना की विलुप्ति का कारण बनी होंगी ।
यद्यपि महाप्राणध्यान साधना विलुप्त हो गई फिर भी जैन शास्त्रों में साधक को प्रेरणा दी गई कि वह सूक्ष्म प्राणायाम के साथ धर्म और शुक्लध्यान की साधना करे । '
इस प्रकार महाप्राणध्यान साधना के विलुप्त होने पर भी संवरयोग के रूप में सूक्ष्मप्राण साधना जैन साधकों में चलती रही ।
ताव हुमाणुपाणू, धम्मं सुक्कं च झाइज्जा ।
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- आवश्यक नियुक्ति १५१४; - आवश्यक नियुक्ति अवचूर्णि, पृ०२२१
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