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आप समाज की शिक्षा एवं चिकित्सा आदि प्रवृत्तियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जगह-जगह विद्यालय, गर्ल्स हाईस्कूल, वाचनालय, चिकित्सालय और सार्वजनिक सेवा केन्द्र तथा धर्मस्थानकों का निर्माण आपकी विशेष रुचि व प्रेरणा का विषय रहा है । पंजाब व हरियाणा में गांव-गांव में आपके भक्त और प्रेमी सज्जन आपके आगमन की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
आपश्री ने जैनधर्म दिवाकर आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी महाराज की जन्म शताब्दी वर्ष में उनकी स्मृति में जहाँ अनेक धर्मस्थानक, हाईस्कूल आदि की प्रेरणा दी है, वहाँ साहित्य के क्षेत्र में भी महान कार्य किया है।
सूत्रकृतांग जैसे दार्शनिक आगम को दो भागों में सम्पादन-विवेचन किया, भगवती सूत्र जैसे विशाल सूत्र का (६ भाग) सम्पादन विवेचन किया है जो आगम प्रकाशन समिति व्यावर से प्रकाशित हो रहे हैं । आचार्य श्री की अमरकृति "जैन तत्त्व कलिका" विकास को भी आधुनिक शैली में सुन्दर रूप में संपादित किया है। और 'जैनागों में अष्टांग योग' का भी बहुत ही सुन्दर व आधुनिक ढंग का यह परिष्कृतपरिवधित संस्करण 'जैन योगः सिद्धान्त और साधना' के रूप में तैयार किया है।
आप यश एवं पद की भावना से दूर रहकर समाज में धर्म तथा ज्ञान का प्रचार करने में ही रुचि रखते हैं। समाज ने आपको प्रवचन भूषण, श्र तवारिधि, हरयाणाकेसरी आदि पदों से सम्मानित किया है । गुरुदेव भंडारी श्री पदमचन्द जी महाराज के सान्निध्य में आप धर्म की यशःपताका फहराते रहें-यही शुभ कामना है।
श्री
___ स्व० ज्ञानमहोदधि आचार्य प्रवर श्री आत्मा राम जी म० की जन्म शताब्दी वर्ष के संदर्भ में जैन योग : सिद्धांत और साधना नामक ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है । यह अत्यंत हर्ष का विषय है । उपरोक्त ग्रंथ से अध्यात्म विद्या योग के प्रेमी निश्चय ही नवीनतम मार्ग दर्शन प्राप्त करेंगे।
जैन योग : सिद्धांत और साधना के लेखक तो आदरणीय है ही, साथ ही सम्प्रेरक, सम्पादक, एवं सहयोगी सम्पादक का परिश्रम भी सम्माननीय है।
मुझे आशा है इस ग्रंथ के माध्यम से ध्यान एवं साधना प्रक्रिया में सजग रहने वाले मुमुक्षु वर्ग अधिकाधिक संख्या में लाभान्वित होंगे।
-प्रवर्तक मुनि रमेश
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