SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ जैन योग : सिद्धान्त और साधना भी छिन्न-भिन्न कर देते हैं, वे योगरूपी कवच से टकराकर शक्तिशून्य तथा निष्प्रभावी हो जाते हैं। भाव यह है कि योगी कामविजेता बन जाता है। ____ यथाविधि सुने हुए-आत्मसात् किये हुए 'योग' रूप दो अक्षर भी सुनने वाले के पापों का नाश कर देते हैं । योग का महत्त्व इन शब्दों से भली-भाँति प्रगट हो जाता है । मोक्ष अथवा निर्वाण प्राप्ति के जितने भी साधन अथवा उपाय भारत के सभी मोक्षवादी दर्शनों ने प्रस्तुत किये हैं, उनमें योग सबसे सरल और प्रबल साधन है। यह कहना भी अत्युक्ति नहीं होगी कि चाहे ज्ञानमार्ग हो या भक्तिमार्ग अथवा कर्ममार्ग-जीव को मोक्ष-प्राप्ति के लिए योग की अतीव आवश्यकता होती है, मुक्ति के लिए योग एक प्रकार से अनिवार्य है। इसीलिए भक्तियोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग आदि शब्दों का प्रचलन हो गया। भारत के परम मेधावी ऋषि-मुनियों ने स्वात्मानुभूति के लिए अपेक्षित प्रज्ञाप्रकर्ष अथवा अन्तर्दृष्टि के सर्वतोभावी उन्मेष के विकास के लिए अपेक्षित बल का इसी योग-साधना के द्वारा उपार्जन किया था। वस्तुतः योग का ही दूसरा नाम अध्यात्म-मार्ग अथवा अध्यात्म-विद्या है। अध्यात्म-विद्या ही जैन धर्म में आध्यात्मिक योग के नाम से अभिहित हुई; और इस योग को मुक्ति-प्राप्ति का सफल उपाय बताया गया। ___ योग का महत्त्व इसी बात से परिलक्षित होता है कि सभी दर्शनों ने अपने नाम के साथ योग शब्द जोड़ लिया। इसका महत्त्व एवं उपयोगिता असंदिग्ध है। जैन योग का स्वरूप भी इसकी उपयोगिता पर आधारित है। इसी दृष्टि से अनेक प्रकार के योग आगमों में वर्णित किये गये हैं, जिनमें प्रथम मन-वचन-काय के व्यापार के अर्थ में तथा दूसरे संयम के अर्थ में 'योग' शब्द का उपयोग प्रमुख है । मन-वचन-काय के व्यापार का निरोध तथा संयम का पालन यही जैन योग का संक्षेप में स्वरूप है । इसी को विभिन्न प्रकार के योगों के नाम से कहा गया है। [ 0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy