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१८
मन्दिर क्रमांक १ / १४
मन्दिर के उत्तरंग पर ललाट बिम्ब में षड्भुजा चक्रेश्वरी तथा उसके छोरों पर गजलक्ष्मी एवं सरस्वती की आकृतियाँ उकेरी हैं । अर्द्धमण्डप के छत पर चारों ओर १६ मांगलिक स्वप्न तथा द्वारशाखाओं पर गंगा और यमुना का अंकन हुआ है। गर्भगृह में पार्श्वनाथ की बिल्हरी से प्राप्त सुन्दर ध्यानस्थ मूर्ति ( ३' ७" x २ १" ) अवस्थित है । इसके तोरण भाग में १३ छोटी जिन आकृतियाँ भी बनी हैं। पूरा मन्दिर प्राचीन है । अर्द्धमण्डप के वितान पर चारों ओर चार तीर्थंकरों के अभिषेक तथा नीचे चारों ओर जैन आचार्यों के उपदेश एवं २७ चामरधारिणी आकृतियाँ तथा कुछ अन्य प्रसंग बने हैं । अर्द्धमण्डप के स्तम्भों पर द्वारपाल की मूर्तियाँ बनी हैं |
खजुराहो का जैन पुरातत्त्व
मन्दिर क्रमांक १ / १५
एक छोटे गर्भगृह में चन्द्र लांछन वाली चन्द्रप्रभ की ध्यानस्थ मूर्ति ( २'७' × १'६' ) प्रतिष्ठित है । मन्दिर में दाहिने ओर का कुछ भाग बाद में बनाया गया है। तीर्थंकर के साथ द्विभुज यक्ष-यक्षी भी आकारित हैं ।
मन्दिर क्रमांक १/१४ एवं १ / १५ के बीच के बरामदे में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रदत्त जैन स्थापत्य एवं मूर्तिकला से सम्बन्धित कई भाचित्र ( फोटो ) कालक्रमानुसार दर्शाये गये हैं । मन्दिर क्रमांक १/१६-१८
मन्दिर क्रमांक १ / १६, १७, १८ परस्पर मिले हुए हैं, जिनमें एक मन्दिर से होकर दूसरे मन्दिर में जाने के लिए दरवाजे हैं ।
मन्दिर क्रमांक १ / १६
इस मन्दिर में मूलनायक के रूप में वज्र - लांछन युक्त धर्मनाथ की ध्यानस्थ मूर्ति स्थापित है । धर्मनाथ के दाहिने एवं बायें क्रमशः चन्द्रप्रभ एवं शान्तिनाथ की लांछनयुक्त मूर्तियाँ हैं । श्वेत संगमरमर की ये मूर्तियाँ १९८१ ई० (धर्मनाथ), १८६५ ई० (चन्द्रप्रभ) और १९०२ ई० (शान्तिनाथ ) में तिथ्यंकित हैं ।
मन्दिर क्रमांक १ / १७
इस मन्दिर में ११ वी १२ वीं शती ई० की तीर्थंकरों की तीन विशाल खड्गासन मूर्तियाँ हैं । एक उदाहरण (५' x १' २ ) में शूकर- लांछन के आधार पर मूर्ति को पहचान विमलनाथ से की गयी है । ये मूर्तियाँ मध्यप्रदेश के दमोह जिला स्थित हटा तहसील के फतेहपुर ग्राम से प्राप्त हुई हैं ।
मन्दिर क्रमांक १ / १८
इस मन्दिर में विक्रम सम्वत् १९२७ (१८७० ई०) की नौ सर्पफणों के छत्र वाली काले पत्थर की पार्श्वनाथ की ध्यानस्थ मूर्ति है । सर्पफणों की संख्या के आधार पर तीर्थंकर की पहचान सुपार्श्वनाथ से भी की जा सकती हैं । मूलनायक के एक ओर चन्द्रप्रभ (विक्रम सम्वत्
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