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वाहन
महाविद्या
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संख्या
९.
परिशिष्ट
गौरी
(क) श्वे०
(ख) दि०
भुजा संख्या
आयुध गोवा (या वृषभ) चार वरदमुद्रा, मुसल (या दण्ड), अक्षमाला, पद्म
हाथों की संख्या भुजाओं में केवल पद्म के प्रदर्शन का निर्देश है। का अनुल्लेख
चार वज्र (या त्रिशूल), मुसल (या दण्ड), अभयमुदा, व रदमुद्रा चार हाथों में केवल चक्र और खड्ग का उल्लेख है।
गांधारी
(क) श्वे.
(ख) दि० ११. (i) सर्वास्त्रमहाज्वाला या ज्वाला श्वे ०
शूकर (या कलहंस
(ii) ज्वालामालिनी
दि०
आठ
१२.
मानवी
(क) श्वे० (ख) दि०
चार
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सिह
१३. (i) वैरोट्या
(ii) वैरोटी १४. (i) अच्छुप्ता
(ii) अच्युता १५. मानसी
अश्व
या बिल्ली) चार दो हाथों में ज्वाला या चारों हाथों में सर्प
धनुष, खड्ग, बाण ( या चक्र ) फलक आदि । देवी
ज्वाला से युक्त है।
चार वरदमुद्रा, पाश, अक्षमाला, वृक्ष (विटप) शूकर
मत्स्य, त्रिशूल, खड्ग, एकभुजा की सामग्री का
अनुल्लेख है। सर्प (या गाड या सिंह) चार सर्प, खड्ग, खेटक, सर्प (या वरदमुद्रा)
चार करों में केवल सर्प के प्रदर्शन का उल्लेख है। चार शर, चाप, खड़ग, खेटक
चार ग्रन्थों में केवल खड्ग और वज्र धारण करने के उल्लेख हैं। (या सिंह) चार वरदमुद्रा, वज्र, अक्षमाला, वज्र (या त्रिशूल) सर्प हाथों की संख्या का दो हाथों के नमस्कार मुद्रा में होने का उल्लेख है ।
____अनुल्लेख है। सिंह (या मकर) ___ चार खड्ग, खेटक, जलपात्र, रत्न (या वरद-या-अभयमुद्रा) सिंह
चार देवी के हाथ प्रणाम-मुद्रा में होंगे (प्रतिष्ठासारसंग्रह);
वरदमुद्रा, अक्षमाला, अंकुश, पुष्पहार (प्रतिष्ठासारोद्धार एवं प्रतिष्ठातिलकम्)
अश्व
FREE
१६.
महामानसी
१०९
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