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(ङ) यक्ष-यक्षी-मूतिविज्ञान-तालिका
(ii) २४-यक्षी सं० यक्षी वाहन भुजा सं०
आयुध १. चक्रेश्वरी (या अप्रतिचक्रा) गरुड
आठ या (i) वरमुद्रा, बाण, चक्र, पाश (दक्षिण); धनुष, वज्र, चक्र, अंकुश (वाम) (क) श्वे०
बारह (ii) आठ हाथों में चक्र, शेष चार में से दो में वज्र और दो में मातुलिंग, अभयमुद्रा (ख) दि०
चार या (i) दो में चक्र और अन्य दो में मातुलिंग, वरदमुद्रा । बारह (ii) आठ हाथों में चक्र और शेष चार में से दो में वज्र और दो में मातुलिंग और
वरदमुद्रा (या अभयमुद्रा) - २. (i) अजिता या अजित- लोहासन (या गाय) चार वरदमुद्रा, पाश, अंकुश, फल
बला-श्वे० (ii) रोहिणी-दि० लोहापन . चार - वरदमुद्रा, अभयमुद्रा, शंख, चक्र ३. (i) दुरितारी-श्वे० मेष (या मयूर चार वरदमुद्रा, अक्षमाला, फल (या सर्प), अभय मुद्रा
या महिष) (ii) प्रज्ञप्ति-दि० पक्षी
अद्वन्दु, परशु, फल, वरदमुद्रा, खड्ग, इढ़ो (या पिंडी) ४. (i) कालिका (या काली) श्वे० पद्म
चार वरदमुद्रा, पाश, सर्प, अंकुश (ii) वज्रशृंखला-दि० हंस
चार वरदमुद्रा, नागपाश, अक्षमाला, फल ५. (i) महाकाली-इवे० पद्म
वरदमुद्रा, पाश (या नागपाश), मातुलिंग, अंकुश (ii) पुरुषदत्ता (या नर• गज
वरदमुद्रा, चक्र, वज्र , फल दत्ता)-दि० ६. (i) अच्युता (या श्यामा या नर
चार वरदमुद्रा, वीणा (या पाश या बाण), धनुष (या मातुलिंग), अभयमुद्रा मानसी)-श्वे०
(या अंकुश) (ii) मनोवेगा-दि० अश्व
वरदमुद्रा, खेटक, खड्ग, मातुलि
चार
खजुराहो का जैन पुरातत्व
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