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विषय प्रवेश विशेषकर जैन तीर्थों पर ही कई ग्रन्थ लिखे, परन्तु उनका दृष्टिकोण ऐतिहासिक रहा है। उन्होंने आबू, शंखेश्वर, कुंभारिया, राधनपुर आदि अनेक तीर्थों पर स्वतंत्र ग्रन्थ लिखे हैं। कुछ अन्य विद्वानों जैसे जार्ज बुहलर", शार्लोटे क्राउझे, नाथूराम प्रेमी,७ मधुसूदन ढाकी', अगरचन्द नाहटा एवं भंवरलाल नाहटा आदि ने भी जैन तीर्थों के सम्बन्ध में निष्पक्ष और गवेषणापूर्ण लेख लिखे हैं, परन्तु ये -लेख तीर्थ विशेष के सम्बन्ध में ही हैं, फिर भी इस दिशा में कार्यरत शोधकर्ताओं के लिये एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
सम्पूर्ण भारतवर्ष के प्रमुख जैन तीर्थों के सम्बन्ध में जानकारी देने हेतु सर्वप्रथम त्रिपुटी महाराज ने वि०सं० २००५ ई० /सन् १९४९ में जैन तीर्थोनो इतिहास' नामक ग्रन्थ लिखा । इसमें उन्होंने तीर्थों की भौगोलिक स्थिति, उनकी प्राचीनता, उसके सम्बन्ध में प्रचलित कथानक, निर्माण एवं पुनर्निर्माण का विवरण, वर्तमान स्थिति आदि के सम्बन्ध में सविस्तार प्रकाश डाला है। १. विजयधर्मसूरि जैन ग्रन्थमाला, उज्जैन, एवं
यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर से प्रकाशित २. यशोविजय जैन ग्रन्थमाला, भावनगर से प्रकाशित ३. यह ग्रन्थ भी भावनगर से सन् १९६१ में प्रकाशित हुआ है। ४. भावनगर से सन् १९६० में प्रकाशित ५. "ए लीजेन्ड ऑफ जैन स्तूप ऐट मथुरा' वियना ओरियण्टल जर्नल
[वियना, १८९७ ई.] ६. “महाकाल मंदिर और जैन धर्म" विक्रमस्मृतिग्रन्थ [उज्जैन, वि०
सं० २०००] पृ० ४०१-४२४ ७. जैन साहित्य और इतिहास [प्रथम संस्करण, बम्बई, सन् १९४२ई०]
पृ० १८५-२३९ 'विमलवसहीनी के टलीक समस्याओ' स्वाध्याय जिल्द ९ [१९७२ई०1 पृ० ३४९.८६ : 'उज्जयन्तगिरि एण्ड जिनअरिष्टनेमि' जर्नल ऑफ इन्डियन सोसाइटी ऑफ ओरियण्टल आर्ट, न्यू सिरीज, जिल्द ६, [कलकत्ता, सन्
१९८२ ई०], पृ० १-३३ १. श्रीचारित्र स्मारक ग्रन्थमाला, अहमदाबाद से प्रकाशित
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