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________________ ( २६ ) जाता है । पंडित नाथूराम जी प्रेमी ने इन निर्वाणभक्तियों के सम्बन्ध में इतना ही कहा है कि जब तक इन दोनों रचनाओं के रचयिता का नाम मालूम न हो तब तक इतना ही कहा जा सकता है कि ये निश्चय ही आशाधर से पहले की (अब से लगभग ७०० वर्ष पहले की हैं।' प्राकृत भक्ति में नर्मदा नदी के तट पर स्थित सिद्धवरकूट, बड़वानी नगर के दक्षिण भाग में चूलगिरि तथा पावागिरि आदि का उल्लेख किया गया है किन्तु ये सभी तीर्थक्षेत्र पुरातात्त्विक दष्टि से नवीं-दसवीं के पूर्व के सिद्ध नहीं होते। इसलिए इन भक्तियों का रचनाकाल और इन्हें जिन आचार्यों से सम्बन्धित किया जाता है वह सदिग्ध बन जाता हैं। निर्वाणकाण्ड में अष्टापद, चम्पा, उर्जयंत, पावा, सम्मेदगिरि, गजपंथ, तारापुर, पावागिरि, शत्रुञ्जय, तुंगीगिरि, सवनगिरि, सिद्धवरकूट, चुलगिरि, वड़वानी, पावागिरि, द्रोणगिरि, मेढ़गिरि, कुंथुगिरि, कोटशिला, रिसिंदगिरि, नागद्रह. मंगलपुर, आशारम्य, पोदनपुर, हस्तिनापुर, वाराणसी, मथुरा, अहिछत्रा, जम्बवन, अर्गलदेश, णिवडकुंडली, सिरपुर होलगिरि, गोम्मटदेव आदि तीर्थों के उल्लेख हैं। इस निर्माणभक्ति में आये हुए चलगिरि, पावागिरि, गोम्मटदेव, सिरपुर आदि के उल्लेख ऐसे हैं, जो इस कृति को पर्याप्त परवर्ती सिद्ध कर देते हैं। गोमम्टदेव ( श्रवणबेलगोला ) की बाहुबली की मूर्ति का निर्माण ई० स० ९८३ में हआ। अतः यह कृति उसके पूर्व की नहीं मानी जा सकती और इसके कर्ता भी कुंदकुंद नहीं माने जा सकते । पाँचवीं से दशवीं शताब्दी के बीच हए अन्य दिगम्बर आचार्यों की कृतियों में कुंदकुंद के पश्चात् पूज्यपाद का क्रम आता है । पूज्यपाद ने निर्वाणभक्ति में निम्न स्थलों का उल्लेख किया है - कुण्डपुर, जम्भिकाग्राम, वैभारपर्वत, पावानगर, कैलाशपर्वत, उर्जयंत, पावापुर, सम्मेदपर्वत, शत्रुञ्जयपर्वत, द्रोणीमत, सह्याचल आदि। रविषेण ने 'पद्मचरित' में निम्न तीर्थस्थलों की चर्चा की हैकैलाश पर्वत, सम्मेदपर्वत, वंशगिरि, मेघरव, अयोध्या, काम्पिल्य, रत्नपुर, श्रावस्ती, चम्पा, काकन्दी, कौशाम्बी, चन्द्रपुरी, भद्रिका, मिथिला, वाराणसी, सिंहपुर, हस्तिनापुर, राजगह, निर्वाण गिरि आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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