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________________ (२२) म सम्भवतः समग्र जैन तीर्थों का नामोल्लेख करने वाली उपलब्ध रचनाओं में यह प्राचीनतम रचना है।' यद्यपि इसमें दक्षिण के उन दिगम्बर जैन तीर्थों के उल्लेख नहीं है। जो कि इस काल में अस्तित्व. वान् थे। इस रचना के पश्चात् हमारे सामने तीर्थ सम्बन्धी विवरण देने वाली दूसरी महत्त्वपूर्ण एवं विस्तृत रचना विविधतीर्थकल्प है, इस ग्रन्य में दक्षिण के कुछ दिगम्बर तीर्थों को छोड़कर पूर्व, उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत के लगभग सभी तीर्थों का विस्तृत एवं व्यापक वर्णन उपलब्ध होता है, यह ई०सन् १३३२ की रचना है । श्वेताम्बर परम्परा की तीर्थ सम्बन्धी रचनाओं में इसका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान माना जा सकता है। इसमें जो वर्णन उपलब्ध है. उससे ऐसा लगता है कि अधिकांश तीर्थस्थलों का उल्लेख कवि ने स्वयं देखकर किया है । यह कृति अपभ्रंश मिश्रित प्राकृत और संस्कृत में निर्मित है। इसमें जिन तीर्थों का उल्लेख है वे निम्न हैं शत्रुजय, रैवतक गिरि,स्तम्भन कतीर्थ, अहिच्छत्रा, अर्बुद (आबू), अश्वावबोध (भड़ौच), वैभारगिरि (राजगिरि), कौशाम्बी, अयोध्या, आपापा (पावा, कलि. कुण्ड, हस्तिनापुर, सत्यपुर (साचौर), अष्टापद ( कैलाश ), मिथिला, रत्नवाहपुर, प्रतिष्ठानपत्तन, (पैठन ), काम्पिल्य, अणहिलपुर पाटन, शंखपुर, नासिक्यपुर ( नासिक ), हरिकं खीनगर, अवंतिदेशस्थ अभिनन्दनदेव, चम्पा, पाटलिपुत्र, श्रावस्ती, वाराणसी, कोटिशिला, कोकावसति, दिपुरी, हस्तिनापुर, अंतरिक्षपार्श्वनाथ, फलद्धिपार्श्वनाथ (फलौधी), आमरकुण्ड (हनमकोण्ड-आंध्रप्रदेश) आदि । १. सम्मेयसेल-सेत्तुज-उज्जिते अब्बुयंमि चित्त उडे । जाल उरे रणथंभे गोपालगिरिमि वंदामि ॥१९॥ सिरिपासनाहसहियं रम्मं सिरिनिम्मयं महाथूभं । कलिकाले वि सुमित्थं महुरानयरीउ (ए) नंदामि ।।२०।। रायगिह-चम्प-पावा-अउज्झ-कंपिल्लट्ठणपुरेसु । भद्दिलपुरि-सोरीयपुरि-अङ्गइया-कन्न उज्जेसु ।।२१॥ सावत्थि-दुग्गमाइसु वाणारसीपमुहपुव्वदेसंमि । कम्मग-सिरोहमाइसु भयाण देसंमि वंदामि ॥२२।। राज उर-कुण्हणीसु य बंदे गज्जउर पंच य सयाई । सलवाड देवराउ रुउत्तदेसंमि गंदामि ॥२३।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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