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________________ २७६ दक्षिण भारत के जैन तीर्थ जिनप्रभसूरि द्वारा उल्लिखित कपिल, बृहस्पति, आत्रेय और पांचाल की चर्चा तो श्वेताम्बर जैन साहित्य में प्राप्त होती है, परन्तु उन लोगों द्वारा मिलकर अपने-अपने सिद्धान्तों को एक श्लोक में समाविष्ट करने की ग्रन्थकार ने जो बात कही है उसका आधार क्या है ? यह कहना कठिन है । उन्होंने इस नगरी में स्थित मुनिसुव्रत के चैत्यालय और उसमें रखी प्रतिमाओं का जो उल्लेख किया है, वह सत्य प्रतीत होता है। ५. श्रीपुरअन्तरिक्षपार्श्वनाथकल्प महाराष्ट्र राज्य के अकोला जिलान्तर्गत सिरपुर (प्राचीन श्रीपुर) नामक एक ग्राम है, जहाँ पार्श्वनाथ स्वामी का एक प्राचीन जिनालय है, जो आज अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ पवली जिनालय के नाम से प्रसिद्ध है। जिनप्रभसूरि ने कल्पप्रदीप में इस तीर्थ के बारे में यथाश्रुत विवरण प्रस्तुत किया है, जो इस प्रकार है___ "पूर्व काल में प्रतिवासुदेव रावण के दूत मालि और सूमालि एकबार कार्यवश आकाश-मार्ग से कहीं जा रहे थे। जिनप्रतिमा के दर्शनोपरान्त ही वे भोजन ग्रहण करते थे, परन्तु वे उसे घर पर ही भूल गये थे, अतः भावी तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ की बालुकामय प्रतिमा उन्होंने निर्मित कर उसकी पूजा की और तत्पश्चात् तालाब में उसे डाल दिया, जहाँ बहुत काल तक वह प्रतिमा पड़ी रही। समय के साथ-साथ वह तालाब एक छोटे से गढ्ढे में बदल गया और उसका जल भी बहुत अल्प परिमाण में अवशिष्ट रहा। एकबार चिउगल देश के चिउगल नगर का राजा श्रीपाल, जिसका सर्वाङ्ग कुष्ट रोग से ग्रसित था, प्यास से व्याकुल होकर वहाँ आया और हाथ-मुंह धोकर जल ग्रहण किया। इससे उसके रोग का प्रकोप कुछ कम हुआ और उसने उसी जल से स्नान किया जिससे उसे पूर्ण आरोग्यता प्राप्त हुई। राजा को स्वप्न में शासनदेवता ने सरोवर में पार्श्वनाथ की प्रतिमा होने की जानकारी दी और उसे जल से निकाल कर अपने नगर में स्थापित करने का आदेश दिया। स्वप्नादेश से राजा ने वहाँ से प्रतिमा निकलवायी और १. विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- "मेहता और चन्द्रा''-प्राकृत प्रापर नेम्स, भाग १-२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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