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________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन २६१ शंखेश्वर महातीर्थ गुजरात प्रान्त के मेहसणा जिलान्तर्गत स्थित है।' २१. सिंहपुर कल्पप्रदीप के चतुरशोतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प के अन्तर्गत सिंहपुर का भी उल्लेख है और यहाँ विमलनाथ और नेमिनाथ के जिनालय होने की बात कही गयी है। जैन मान्यतानुसार ११वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का सिंहपुर में जन्म हआ था।' जहाँ तक जिनप्रभसूरि के उल्लेख का प्रश्न है; उन्होंने, जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, चतुरशीतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प में श्रेयांसनाथ से सम्बन्धित स्थानों के साथ नहीं अपितु विमलनाथ और नेमिनाथ से सम्बन्धित स्थानों के साथ सिंहपुर का उल्लेख किया है । इससे यह स्पष्ट होता है कि यह सिंहपुर श्रेयांसनाथ के जन्मस्थान सिंहपुर से भिन्न है। जहाँ तक इस तीर्थ की भौगोलिक स्थिति का प्रश्न है, द्वारका और स्तम्भतीर्थ के साथ इस स्थान का उल्लेख है । अतः इसे गुजरात राज्य में स्थित होना चाहिए। इस आधार पर सिंहपुर को भावनगर जिलान्तर्गत सिहोर नामक स्थान से समीकृत किया जा सकता है। कुछ विद्वानों ने इससे भिन्न तर्कों के आधार पर भी इसी १. परीख और शास्त्री-पूर्वोक्त, भाग १, पृ० ३७२-३७३ २. मेहता और चन्द्रा-प्राकृत प्रापर नेम्स, पृ० ८०२; जोहरापुरकर, विद्याधर-तीर्थवन्दनसंग्रह, पृ० १८४ । ___सिंहपुर की भौगोलिक स्थिति के बारे में प्राचीन जैन साहित्य से कोई जानकारी नहीं मिलती। उत्तरकालीन जैन परम्परा में इसे वाराणसी नगरी से उत्तर में अवस्थित सारनाथ नामक प्रसिद्ध स्थान के निकट स्थित सिंहपुरी से समीकृत किया जाता है । यह उल्लेखनीय है कि जिनप्रभसूरि के समय तक इस मान्यता का जन्म नहीं हुआ था, क्योंकि वाराणसीनगरीकल्प में उन्होंने सारनाथ और यहां के बौद्ध स्मारकों का उल्लेख किया है, परन्तु सिंहपुरी की कोई चर्चा नहीं है । अतः यह स्पष्ट है कि जिनप्रभसूरि के पश्चात् ही इस मान्यता का प्रचलन हुआ होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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