SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन २५९ कालीन ग्रन्थों से यह बात ज्ञात होती है।' वस्तुपाल-तेजपाल ने भी यहाँ स्थित चैत्यालय का जीर्णोद्धार कराया एवं चैत्यशिखर पर स्वर्णकलश लगवाया। कुछ विद्वानों के अनुसार यह कार्य वि० सं० १२८६ के लगभग सम्पन्न हआ, परन्तु यथेष्ठ प्रमाणों के अभाव में उक्त तिथि को स्वीकार नहीं किया जा सकता। बीजूवाड़ा के राणा दुर्जनशाल ने भी उक्त पार्श्वनाथ चैत्यालय का जीर्णोद्धार कराया। यह बात जगडचरितमहाकाव्य से ज्ञात होती है। चौदहवीं शती के अन्तिम दशक में अलाउद्दीन खिलजी ने इस तीर्थ को नष्टप्राय कर दिया।" ___आज यहाँ ग्राम में ईंटों से निर्मित जो ध्वंस जिनालय विद्यमान है वह अकबर द्वारा गुजरात-विजय ( ई० सन् १५७२ ) के तुरन्त बाद १. मुनि जयन्तविजय--पूर्वोक्त, पृ० ९६ और आगे २. वस्तुपालचरित-( जिनहर्षगणि-वि० सं० १४९७ ); प्रस्ताव ७, श्लोक २८४-२९७। ३. मुनि जयन्तविजय-पूर्वोक्त, पृ० ९९ और आगे ४. इतश्च पूर्णिमापक्षोयोतिकारी महामतिः । श्रीमान्परमदेवाख्यः सूरि ति तपोनिधिः ।। १ ।। श्रीशङ्खश्वरपार्श्वस्यादेशमासाद्य यः कृती । आचाम्लवर्धमानाख्यं निर्विघ्नं विदधे तपः ।। २ ।। अघोषशतवर्षेषु व्यधिकेषु च विक्रमात् ।। मार्गशीर्षस्य शुक्लायां पञ्चम्यां श्रवणे च भे ॥ ३ ।। कटपद्राभिधे ग्रामे देवपालस्य वेश्मनि । आचाम्लतपसश्चक्रे पारणं यः शुभाशयः । युग्मम् ॥ ४ ।। प्रबोधं सप्तयक्षाणां संघविघ्नविधायिनाम् । शोशपार्श्वभवने यश्चकार कृपापरः ॥ ५ ॥ तस्यैवाराधनं कृत्वा चारित्रश्रीविभूषितः । राज्ञो दुर्जनशल्यस्य कुष्टरोगं जहार यः ॥ ६ ॥ भूपो दुर्जनशल्योऽपि यस्यादेशमवाप्य सः । शङ्खशपार्श्वदेवस्य समुद्दधं च मन्दिरम् ॥ ७ ॥ --जगडूचरितमहाकाव्य ( सर्वाणंदसूरि-१४वीं शती लगभग ) सर्ग ६, श्लोक १-७ ५. मुनि जयन्तविजय-पूर्वोक्त, पृ० १०१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy