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________________ २०८ पश्चिम भारत के जैन तीर्थ २. अम्बुरिणीग्राम कल्पप्रदीप के " चतुरशीतिमहातीर्थ नाम संग्रहकल्प" के अन्तर्गत "अम्बुरिणी ग्राम" का भी उल्लेख है और वहां सुमतिनाथ के मंदिर होने की बात कही गयी है । अम्बुरिणी ग्राम को गुजरात राज्य के जामनगर जिले में स्थित वर्तमान " आमरण" नामक ग्राम से समीकृत किया जाता है ।' ग्राम के मध्य में वि.सं १९७५ में निर्मित एक जिनालय विद्यमान है जो मुनिसुव्रत को समर्पित है। जहां तक जिनप्रभसूरि के उक्त उल्लेख का प्रश्न है, यद्यपि सुमतिनाथ का कोई जिनालय यहां विद्यमान नहीं है, परन्तु इससे उनके उक्त कथन को अप्रामाणिक नहीं माना जा सकता । हो सकता है उनके समय में उक्त तीर्थङ्कर का कोई मंदिर यहां रहा हो । ३. अर्णाहलपुरस्थित अरिष्टनेमिकल्प गुर्जरदेश की राजधानी और पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नगरी के रूप में अणहिलपुर का विशेष महत्त्व रहा है । परम्परानुसार वि.सं. ८०२ में चावड़ा वंश के संस्थापक वनराज चावड़ा ने इस नगरी की नींव डाली थी । जैन प्रबंधन थों में इस नगरी के बारे में विस्तृत विवरण प्राप्त होते हैं। जिनप्रभसूरि ने कल्पप्रदोष के अन्तर्गत इस नगरी का उल्लेख किया है और चापोत्कट, चौलुक्य एवं वघेला आदि राजवंशों के राजाओं की वंशावली का भी यथाश्रुत उल्लेख किया है । उनके विवरण की प्रमुख बातें इसप्रकार हैं " कन्नौज देश से एक बार यक्ष नामक एक व्यापारी व्यापार हेतु बैलों का सार्थ लेकर अणहिलपुरपत्तन आया । वर्षाकाल उसने वहीं व्यतीत किया । एक दिन रात्रि में अम्बिका देवी ने उसे भूमि में एक निश्चित स्थान में जिन प्रतिमा होने तथा उसे निकाल कर चैत्य में स्थापित करने का निर्देश दिया । प्रातःकाल उस व्यापारी ने देवी के १. पारीख और शास्त्री - संपा० गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास, भाग १, पृ० ३३६ । २. शाह अम्बालाल पी० - पूर्वोक्त, तीर्थसूची, संख्या, १५२५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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