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[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-४ वि० सं० १५१५ में जोधपुर नगर का निर्माण करने वाले मरुधराधीश राव जोधा के वि० सं० १५३१ से पहले ही दुर्जन सिंह नाम का पौत्र था और वह खरंटिया जागीर का ठाकुर था, पट्टावली के इस उल्लेख में तथ्य है कि नहीं, यह प्रश्न भी शंकास्पद है।
इस पट्टावली में शोधार्थियों के लिये शोध को केवल इतनी सी सामग्री विचारणीय है कि क्या लोंकाशाह मूलतः मारवाड़ के निवासी थे? क्या उनके पिता-पितामह आदि पूर्वज कामदार पद पर रहकर प्रशासनिक कार्य करते चले आ रहे थे और लोंकाशाह की धमनियों में पीढ़ी-प्रपीढ़ियों से प्रशासन करते आ रहे प्रशासकों का खून प्रवाहित हो रहा था जिसके बल पर वे एक अति स्वल्प समय में हो धर्म के आगम प्रतिपादित विशुद्ध स्वरूप का देश के इस छोर से उस छोर तक प्रचार प्रसार करने में सक्षम हुए। बस इससे अधिक और कोई अन्य तथ्य इस पट्टावली में उल्लिखित लोकाशाह विषयक परिचय में दृष्टिगोचर नहीं होता।
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