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________________ सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ] लोकाशाह [ ७०९ लंको मेहतो तिहां वसै, अक्षर सुन्दर तास । आगम लिखवा सूपिया, लिखे शुद्ध सुविलास ।।४१।। -ऐतिहासिक नौंध पृ० ११६ । ८. स्थानकवासी साधु जेठमलजी ने अपनी वि० सं० १८६५ की 'समकित सार' नामक कृति में लोंकाशाह के निवासस्थान के सम्बन्ध में लिखा है : ___ "सम्वत् १५३.१ में श्री गुजरात देश के अहमदाबाद नगर में प्रोसवाल . वंश में पैदा होकर शाह लोंका रहते थे । जो सर्राफ का धन्धा करते थे। चौपाई पन्द्रह सौ इकतीस मझार, जनमत भो इकमती सरदार । अहमदाबाद नगर मझार, लोकाशाह बसे सुविचार । देखत जो जो ऋषि आचार, उनको गाथन करे उचार । ग्रन्थ अर्थ वे उनका करे, लेखन उद्यम नित ही धरै । -समकित सार पृष्ठ ६ । ६. दिगम्बर परम्परा में तारणपन्थ के संस्थापक दिगम्बर महात्मा तारण स्वामी ने अपनी कृति 'तरण तारण श्रावकाचार' में लोंकाशाह के जन्म स्थान एवं समय के विषय में जो उल्लेख किया है उसका भाषान्तर इस प्रकार है : . "उस समय अहमदाबाद में श्वेताम्बर जैनियों के अन्दर लोंकाशाह हुए, उन्होंने भी विक्रम सम्वत् १५०८ में अपने नये पन्थ की स्थापना की जो मूर्ति को नहीं पूजते हैं।" ...१०. लोंकागच्छीय यति केशवजी ने अपनी कृति 'चौवीस कड़ी का शिलोका' में लोंकाशाह के जन्म स्थान के बारे में लिखा है : "इण कालई सौराष्ट्र धरा मंई नागवेष तटिनी तटगांवई । हरिचन्द्र श्रेष्ठि तिहां बसई मउंधी बाई धरणी शील लसई ।।१०।। अर्थात् सौराष्ट्र की धरा में नदी के किनारे पर नागवेष नामक ग्राम के रहने वाले श्रेष्ठिवर हरिचन्द की शीलसम्पन्ना पत्नी मउंधी बाई की कुक्षि से लोकाशाह का जन्म हुआ। . . लोंकाशाह द्वारा शास्त्र लिखे जाने का समय १. बड़ौदा यूनीवर्सिटी की पुस्तक संख्या १७४२८ के अन्त में लोकाशाह द्वारा ___ शास्त्रों के आधार पर की गई प्ररूपणा का काल निर्देश करते हुए लिखा गया है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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