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________________ श्रमरण भ. महावीर के ६१वें पट्टधर प्राचार्यश्री ज्ञानऋषि जन्म वीर नि. सं. १९२७ दीक्षा , , , १९४३ प्राचार्यपद १९८७ स्वर्गारोहण २००७ गृहवासपर्याय १६ वर्ष सामान्य साधुपर्याय प्राचार्यपर्याय २० वर्ष पूर्ण संयमपर्याय ६४ वर्ष पूर्ण आयु ८० वर्ष श्री लालजी स्वामी के स्वर्गस्थ हो जाने पर वीर नि. सं. १९८७ में चतुर्विध संघ ने श्री ज्ञानऋषि को श्रमरण भ० महावीर की मूल परम्परा के ६१वें पट्टधर के रूप में प्राचार्यपद पर अधिष्ठित किया। ४४ वर्ष की सामान्य श्रमणपद पर्याय और २० वर्ष की प्राचार्यपद पर्याय में कुल मिलाकर ६४ वर्ष पर्यन्त आपने श्रमण भ, महावीर के चतुर्विध धर्म संघ की महती सेवा की। वीर नि. सं. २००७ में आपने ८० वर्ष की आयु पूर्ण कर समाधिपूर्वक स्वर्गारोहण किया। श्री लालजी स्वामी के प्राचार्यकाल में वीर नि० सं० १९७८, तदनुसार वि० सं० १५०८ में अर्थात् आचार्यश्री ज्ञान ऋषि के आचार्यपद पर आसीन होने से ६ वर्ष पूर्व लोकाशाह ने शास्त्रों के आधार पर धर्म के विशुद्ध स्वरूप एवं श्रमणश्रमरणीवर्ग के शास्त्र प्रतिपादित श्रमणाचार पर प्रकाश डालते हुए धर्म क्रान्ति का सूत्रपात किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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