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________________ तयालीसवें (४३) युगप्रधानाचार्य श्री हरिमित्र जन्म दीक्षा सामान्य साधुपर्याय युगप्रधानाचार्य काल गृहस्थपर्याय वीर निर्वाण सम्वत् १८८२ वीर निर्वाण सम्वत् १६०२ वीर निर्वाण सम्वत् १६०२ से १६१८ वीर निर्वाण सम्वत् १६१८ से १६६३ बीस वर्ष सोलह (१६) वर्ष पैंतालीस (४५) वर्ष वीर निर्वाण सम्वत् १९६३ ८१ वर्ष सामान्य साधुपर्याय युगप्रधानाचार्यपर्याय स्वर्ग सर्वायु ४२वें युगप्रधानाचार्य श्री सुमिणमित्र के स्वर्गस्थ हो जाने पर श्रमण श्रेष्ठ श्री हरिमित्र को युगप्रधानाचार्य पद पर आसीन किया गया। वीर नि० सं० १६१८ से १६६३ तक ४५ वर्ष पर्यन्त युगप्रधानाचार्य पद के कर्तव्यों का पूर्ण योग्यता के साथ सुचारुरूपेण निर्वहन करते हुए ८१ वर्ष की आयु पूर्ण कर आपने वीर निर्वाण सं०१६६३ में स्वर्गारोहण किया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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