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जन्म
दीक्षा
श्रमरण भ. महावीर के ५४वें पट्टधर श्राचार्य श्री महासेन
आचार्यपद
स्वर्गारोहण गृहवास पर्याय
सामान्य साधु पर्याय
आचार्य पर्याय पूर्ण संयम पर्याय
पूर्ण आयु
वीर नि. सं. १६५१
१६६२
१७३८
१७५८
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वी. नि. सं. १७३८ में विशुद्ध मूल परम्परा के ५३वें पट्टधर ग्राचार्यश्री महासूरसेन के स्वर्गस्थ हो जाने पर चतुर्विध संघ ने वयोवृद्ध अनुभवी श्रमणोत्तम श्री महासेनमुनि को भ. महावीर के ५४वें पट्टधर के रूप में आचार्यपद पर आसीन किया ।
११ वर्ष
७६ वर्ष
२० वर्ष
६६ वर्ष
१०७ वर्ष
जिस समय आपको प्राचार्यपद पर ग्रासीन किया उस समय आपकी अवस्था ८७ वर्ष की थी । वयोवृद्ध होते हुए भी आचार्यश्री महासेन ने २० वर्ष तक संघ का सुचारु रूपेरण संचालन किया । अन्त में १०७ वर्ष की आयु पूर्ण कर आपने वी. नि. सं. १७५८ में समाधिस्थ होकर स्वर्गारोहण किया ।
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इस प्रकार के महर्षियों के त्याग तप और अटूट आस्था के परिणामस्वरूप ही श्रमण भगवान महावीर की विशुद्ध मूल- परम्परा घोरातिघोर संकटपूर्ण संक्रान्ति काल में भी अपनी मन्थर गति से अन्तर्वाहिनी नदी की तरह प्रवाहित होती रही ।
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