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जन्म
दीक्षा
श्रमरण भ. महावीर के ५३ वें पट्टधर श्राचार्यश्री महासूरसेन
आचार्यपद
स्वर्गारोहण
गृहवास पर्याय
सामान्य साधु पर्याय
आचार्य पर्याय
पूर्ण संयम पर्याय
पूर्ण भायु
वीर नि. सं. १६२६
१६५४
१७०८
१७३८
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२५ वर्ष
५४ वर्ष
३० वर्ष
८४ वर्ष
१०६ वर्ष
वी. नि. सं. १७०८ में आचार्यश्री सूरसेन के स्वर्गस्थ हो जाने पर चतुविध संघ ने वयोवृद्ध, आगम-मर्मज्ञ मुनि श्री महासूरसेन को श्रमरण भ. महावीर के ५३वें पट्टधर आचार्यपद पर अधिष्ठित किया ।
आपने अपनी ८४ वर्ष की पूर्ण संयम पर्याय में श्र. भ. महावीर के धर्मसंघ के प्रबल प्रहरी के रूप में सजग रहकर ईसा पूर्व ५५७ में श्रमरण भ. महावीर ने तीर्थप्रवर्तन करते हुए विश्व के कल्याण की भावना से अहिंसा मूलक धर्म की जो महती ( महनीया ) सरिता प्रवाहित की थी, उसके प्रवाह को आपने प्रक्षुण्ण बनाये रखा । आपने वी. नि. सं. १७३८ में १०६ वर्ष की आयु पूर्ण कर समाधि-पूर्वक स्वर्गारोहण किया ।
आपकी ८४ वर्ष जैसी सुदीर्घावधि की साधना की यह विशेषता रही कि आपने चैत्यवास और शिथिलाचार के प्रभाव से चतुर्विध संघ को बचाये रखकर बिना आडम्बर के अपनी साधना पूर्ण की।
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