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________________ श्रमण भगवान् म० के ५२वें पट्टधर प्रा. श्री सूरसेन जन्म वी. नि. सं. १६०१ दीक्षा "", १६२३ प्राचार्य पद ,. १६४४ स्वर्गारोहण १७०८ गृहवास पर्याय २२ वष सामान्य साधु पर्याय प्राचार्य पर्याय ६४ वर्ष पूर्ण संयम पर्याय ८५ वर्ष पूर्ण आयु १०७ वर्ष श्रमण भगवान् महावीर की विशुद्ध मूल परम्परा के ५१वें पट्टधर प्राचार्य श्री देवऋषि के समाधिपूर्वक स्वर्गारोहण पर चतुर्विध संघ ने वी. नि. सं. १६४४ में आगम-निष्णात मुनिवर श्री सूरसेन को भ. म. के ५२वें पट्टधर प्राचार्य पद पर अधिष्ठित किया। आपने अपनी ६४ वर्ष की प्राचार्य-पर्याय में साधु-साध्वी, श्रावक तथा श्राविका वर्ग को आगमानुसारी अध्यात्म मूलक भाव-परम्परा पर दृढ़ बनाये रक्खा। इस प्रकार ८५ वर्ष की विशुद्ध श्रमण-पर्याय में स्व-पर का कल्याण करने के अनन्तर आपने वी. नि. सं. १७०८ में १०७ वर्ष की आयु पूर्ण कर संलेखना संथारापूर्वक समाधि मरण द्वारा स्वर्गारोहण किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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