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मानसूरि
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(४) शिवदेवसूरि (७) गजे ........
(१०) राजानंदसूरि
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तथा तेश्रो सघला महाविद्वान हता. अने ते प्रो सर्वेसूरि पद ने लायक हता, गुरुए तेमने पूछवाथी तेए कह यू के प्रमो सर्वे ने सूरिपद मेलववानी इच्छा छै । पछी गुरु महाराज ते सर्व शिष्यो साथे विहार करता भिन्नमाल नगर नी पासे वट गाम नामना गाम मां प्राव्या, ते गामनी उत्तरदिशा मां एक महान् बड़नू वृक्ष हतु, ते नीचे विश्राम माटे गुरुमहाराज शिष्यो सहित बैठा, त्यारे शासनदेवता तरफ थी एव श्राकाशवारणी थई के जो नहीं सूरि पदनी स्थापना थशे तो तेश्रोनो विस्तार सैकडों गमे शाखाओ थी वृद्धि पामशे ते सांभली गुरुमहाराजे पोताना ते चोर्यासी शिष्यो ने सूरिपद प्राप्या । ते चोर्यासी प्राचार्योंना नामो नीचे मुजब हतां (१) सर्वदेवसूरि (२) प्रभाचंद सूरि (५) जिनेन्द्रसूरि (८) प्राणंदसूर ( ११ ) सोभाग्य चन्द्र सूरि (१४) प्रज्ञानंदसूरि (१७) सोमानंदसूर ( २० ) सामंतसूरि (२३) देवराजसूरि (२६) धर्मसिंहसूरि (२६) चारित्रसूरि (३२) विनयसूरि (३५) पानदेवसूरि (३८) जोगानंदसूरि ( ४१ ) कृष्णप्रभसूरि (४४) नारायणसूरि (४७) देवस.... (५०) पांडुसूरि (५३) खीमसूरि (५६) मथुरासूरि
(१३) स. (१६) संघाणंदसूर (१६) सूरि (२२) उदयराजसूरि (२५) प्रभसूरि ( २८ ) से तिलकसूरि (३१) नृसिंहसूरि (३४) वल्लभसूरि (३७) राजदेवसूरि (४०) सोमप्रभसूरि (४३) पद्माणंदसूरि (४६) भाव देवसूरि ( ४१ ) नागराजसूरि (५२) डोडसूरि (५५) सोवीरसूरि (५८) जिनसिंहसूरि (६१) शीलदेवसूरि (६४) प्रशाणंदसूरि (६७) प्रभासेन सूरि ( ७० ) ब्रह्मसूरि (७३) कसूरि (७६) सारिंगसूरि ( ७६ ) गोकर्ण सूरि (८२) बाहटसूरि
सामान्य श्रुतधर कॉल खण्ड २
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(५६) वीरसूरि (६२) शाम्बसूर (६५) रामसूरि (६८) आणंदराजसूरि (७१) रत्नराजसूरि (७४) मेघारदसूरि (७७) रंगप्रभसूरि (८०) सहदेवसूरि (८३) लाडणसूरि
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(३) हरियानंदसूरि (६) दयानंदसूरि (६) धर्माणंदसूरि (१२) देवेन्द्रसूरि (१५) सर्वाणंदसूर (१८) यक्षायणसूरि (२१) शिवप्रभसूरि (२४) गांगेयसूरि (२७) संघसेनसूरि (३०) भानु (३३) विजयानंदसूरि (३६) मान......
( ३९ ) भीमराजसूरि (४२) न सूरि (४५) कर्मचन्द्रसूरि (४८) इल्लसूरि (५१) पुष्कलसूरि (५४) य ....
(५७) मंगलसूरि
(६०) वृध (६३) प्रियांगसूरि (६६) रवि .......
( ६ ) प्रज्ञाप्रभसूरि (७२) भसूरि (७५) भोजराजसूरि (७८)
ल सूरि
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(८१) भूतसंघसूरि (१४)
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.. राजसूरि
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