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श्रमण भगवान् महावीर के ४८वें पट्टधर आचार्य श्री ऊमण ऋषि
जन्म
दीक्षा
आचार्यपद
स्वर्गारोहण
गृहवास पर्याय
सामान्य साधु पर्याय
आचार्य पर्याय
पूर्ण संयम पर्याय
पूर्ण आयु
वीर नि० सं० १४७४ में प्राचार्य श्री कलशप्रभ के चतुर्विध संघ ने मुनिश्रेष्ठ श्री ऊमरण ऋषि को प्रभु महावीर के पद पर अधिष्ठित किया । अपनी २५ वर्ष की साधु पर्याय एवं पर्याय में श्रमरण भ० महावीर के चतुर्विध धर्मसंघ की आपने ४५ वर्ष तक महती सेवा की । अपने प्राचार्यकाल में चारों ओर चैत्यवासी, मठवासी, श्वेताम्बर भट्टारक, दिगम्बर भट्टारक आदि द्रव्य परम्पराओं के वर्चस्व काल में भी आपने आगमानुसारी विशुद्ध श्रमणाचार का पालन करते हुए मूल विशुद्ध परम्परा के प्रवाह को प्रक्षुण्ण बनाये रखा ।
वीर नि० सं० १४०७
वीर नि० सं० १४४६
वीर नि० सं० १४७४
वीर नि० सं० १४६४
४२ वर्ष
२५ वर्ष
२० वर्ष
४५ वर्ष
८७ वर्ष
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वीर नि० सं० १४९४ में आपने संलेखना - संथारापूर्वक समाधिमरण के माध्यम से स्वर्गारोहण किया ।
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स्वर्गस्थ हो जाने पर ४८वें पट्टधर आचार्य २० वर्ष की आचार्य -
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