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भ० महावीर के ४५, ४६ और ४७ वें पट्टधरों के समय में हुए ३६ वें युगप्रधानाचार्य ज्येष्ठांग गरिण
जन्म
दीक्षा
सामान्य साधुपर्याय
युग प्रधानाचार्यकाल
गृहस्थ पर्याय
सामान्य साधु पर्याय
युगप्रधानाचार्य पर्याय
१२ वर्ष
१८ वर्ष
७१ वर्ष
वीर नि. सं. १३७०
वीर नि. सं. १३८२
वीर नि. सं. १३८२ - १४००
वीर नि.सं. १४०० - १४७१
स्वर्ग
वीर नि. सं. १४७१
सर्वायु
१०१ वर्ष, ३ मास और ३ दिन
३५ वें युगप्रधानाचार्य धर्म ऋषि के स्वर्गस्थ होने के उपरान्त वीर नि० सं. १४०० में महामुनि श्री ज्येष्ठांग गणि को चतुविध संघ ने युगप्रधानाचार्य पद पर अधिष्ठित किया । इस प्रकार ज्येष्ठांग गरि ३६ वें युगप्रधानाचार्य हुए ।
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आप कहां के रहने वाले थे, आपके माता-पिता का नाम क्या था, इस सम्बन्ध में जैन वांग्मय में कोई विवरण उपलब्ध नहीं होता । दुस्समा समणसंघ थय के अनुसार आपका जन्म वीर निर्वाण सं० १३७० में हुआ । १२ वर्ष की आयु में ही आपने वीर निर्वारण सं० १३८२ में श्रमरणधर्म की दीक्षा ग्रहण कर ली । १८ वर्ष तक सामान्य साधुपर्याय में रहते हुए आपने श्रागमों का तलस्पर्शी ज्ञान प्राप्त किया और वीर नि० सं० १४०० में अप्रतिम प्रतिभा सम्पन्न होने के कारण आपको युगप्रधानाचार्य पद पर आसीन किया गया था । ३६ वें युगप्रधानाचार्य ज्येष्ठांग गणिने ७१ वर्षो तक युगप्रधानाचार्य पद पर विराजमान रहते हुए जिनशासन की उल्लेखनीय सेवा की । १०१ वर्ष, ३ मास और तीन दिन की प्रायुष्य समाधिपूर्वक पूर्ण कर आपने वीर नि० सं० १४७१ में स्वर्गारोहण किया । 'तित्थोगाली पहन्नय' नामक प्राचीन ग्रन्थ में आपके सम्बन्ध में निम्नलिखित गाथा उपलब्ध होती है :
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