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वीर सम्वत् १००० से उत्तरवर्ती प्राचार्य ]
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हए लिखा कि देवद्रव्य के लेशमात्र का भी दुरुपयोग अथवा उसका निजी स्वार्थ के लिये उपयोग धोर पाप है, अत: देवद्रव्य को चुराने अथवा खाने जैसे जघन्य अपराध से प्रत्येक व्यक्ति बचता रहे ।
सामाजिक दृष्टि से भी हथडी का बहत बड़ा महत्व है क्योंकि प्रोसवाल जाति के झामड़ गोत्र की उत्पत्ति हथडी से ही हई। कुलगुरुपों की बहियों के उल्लेखानुसार वि० सं०६८८ में प्राचार्य सर्वदेवसूरि विहार क्रम से हथंडी पधारे और उनके उपदेशों से प्रभावित हो राव जगमाल ने अपने कौटुम्बिक जनों के साथ अहिंसामल जैनधर्म अंगीकार कर अपने क्षत्रिय परिजनों के साथ प्रोसवाल जाति में सम्मिलित हुआ और उन सबका झामड़ गोत्र रखा गया।
___ मम्मट के पश्चात् उसका पुत्र धवलराज हथूड़ी के सिंहासन पर बैठा । धवलराज वस्तुतः बड़ा ही शक्तिशाली और शरणागत-प्रतिपाल राजा था।
इसके शासनकाल में मालवराज ने ग्राहड़ पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर डाला। उस समय धवलराज ने मेवाड़ के महाराणा शालिवाहन, सम्भवतः खुमारण चतुर्थ को अपने राज्य में शरण दी । इसने चौहान महेन्द्र की बड़ी सहायता की और गुजरात के शक्तिशाली राजा मूलराज के आतंक से आतंकित बढवारण के राजा धरणीवराह को भी शरण दी।
इसने अपने दादा विदग्धराज के द्वारा निर्मापित भ० आदिनाथ के मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया और वि० सं० १०५३ की माघ शुक्ला १३ के दिन भगवान् आदिनाथ की नवीन भव्य मति की शान्तिसूरि से प्रतिष्ठा करवाई।
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