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________________ भ० महावीर के ४३ ३ पट्टधर श्राचार्य लक्ष्मीवल्लभ और ४४ ३ पट्टधर रामऋषि स्वामी के समकालीन पैंतीसवें (३५) युगप्रधानाचार्य . धर्म अषि । । । । जन्म वीर निर्वाण सम्वत् १३२५ दीक्षा . १३४० सामान्य साधु पर्याय १३४० से १३६० युगप्रधानाचार्य काल १३६० से १४०० स्वर्ग - " , १४०० सर्वायु -- ७५ वर्ष चार मास और चार दिन माढर सम्भूति के पश्चात् धर्म ऋषि ३५ वें युगप्रधानाचार्य हुए। आपका जन्म वीर निर्वाण सम्बत १३२५ में हरा । प्राप वीर निर्वाण सम्वत् १३४० में श्रमरणधर्म में प्रवजित हुए । वीर निर्वाण सम्वत् १३६० में ३४ ३ युगप्रधानाचार्य माढर सम्भूति के स्वर्गस्थ होने के अनन्तर चतुर्विध संघ द्वारा आपको युगप्रधानाचार्य पद प्रदान किया गया । चालीस वर्ष तक युगप्रधानाचार्य पद के कार्यभार को बड़ी योग्यता और कुशलता के साथ वहन करते हुए आपने भगवान महावीर के शासन की महती सेवा की। वीर निर्वाण सम्वत १४०० में ७५ वर्ष ४ मास और ४ दिन की आयु पूर्ण कर प्राचार्य धर्म ऋषि ने समाधिपूर्वक स्वर्गारोहण किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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