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भ. महावीर के २९वें एवं ३०वें पट्टधर शंकरसेन एवं जसोभद्र के आ. काल के प्रमुख ग्रन्थकार कोट्टाचार्य सिंहगणि (सिंहसूर) कोट्याचार्य ३१वें युग प्र. आ. श्री स्वाति (हारिल गोत्रीय स्वाति से भिन्न) थारपद्र गच्छ राजनैतिक स्थिति कलों द्वारा सम्पूर्ण तमिल प्रदेश पर अधिकार जैन धर्म दक्षिणापथ में संकटापन्न स्थिति में (14) देला महत्तर (देला सूरि) शैव महासन्त तिरु ज्ञान सम्बन्धर का उपलब्ध संक्षिप्त जीवन-वृत्त संत तिरू अप्पर का उपलब्ध जीवन-वृत्त तिरु अप्पर और ज्ञान सम्बन्धर के समकालीन जैनाचार्य वादीभसिंह अपरनाम ओडयदेव श्रमण भ. महावीर के ३५वें पट्टधर आचार्य जयसेन (द्वितीय) श्रमण भ. महावीर के ३६वें पट्टधर आचार्य श्री जगमाल स्वामी श्रमण भ. महावीर के ३७वें पट्टधर आचार्य श्री देवऋषि. श्रमण भ. के ३८३ पट्टधर आचार्य श्री भीम ऋषि ३२वें युग प्रधानाचार्य श्री पुष्य मित्र हर्षवर्द्धन अपर नाम शीलादित्य वीर निर्वाण की १३वीं शताब्दी के प्रभावक
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