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________________ आगामी उत्सर्पिणीकाल के चौबीस तीर्थकर ( श्रेणिक का जीव ) * ( सुपार्श्व का जीव ) * उदायी* १. महापद्म २. सुरदेव ३. सुपार्श्व ४. स्वयंप्रभ ५. सर्वानुभूति ६. देवश्रुति ७. उदय ८. पेढालपुत्र ε. पोट्टल १०. शतकीर्ति ११. मुनिसुव्रत १२. अमम १३. सर्व भावित १४. निष्कषाय १५. निष्पुलाक १६. निर्मम १७. चित्रगुप्त १८. समाधि १६. संवर २०. प्रनिवृत्ति २१. विजय २२. विमल २३. देवोपपात २४. अनन्त विजय ( पोट्टिल अरणगार ) * (वायु) * (कार्तिक) Jain Education International (शंख) * (नंद) ( सुनन्द ) शतक * देवकी कृष्ण सात्यकि बलदेव (कृष्ण के बड़े भाई नहीं ) रोहिणी सुलसा* रेवती* शताली भयाली कृष्ण द्वपायन नारद अम्बड़ दारुमृत स्वातिबुद्ध * तारांकित पुण्यात्माओं ने भगवान् महावीर के शासनकाल में तीर्थंकर नाम-कर्म का उपार्जन किया, यथा :- "समरणस्स भगवउ महावीरस्स तित्यंसि नवह जीवहि तित्थकर - नामगोयकम्मे निवित्तिए तंजहा सेणिएणं सुपासेणं, उदाइरणा, पुट्टलेणं अणगारेणं, दढाउरणा, संखेणं, सयएणं सुलसाए, साथियाए रेवईए ।" [ स्थानांग, ठाणा ६, ( प्रभयदेव सूरि ) पत्र ५२०, ५२१ ] For Private & Personal Use Only ८३७ www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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