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निर्वाण का ऐतिहासिक विश्लेषण] भगवान् महावीर
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है कि ये अंक बुद्ध के निर्वाणकाल के सूचक हो सकते हैं। उसका अनुमान है कि जिस दिन ये शिलालेख लिखवाये गये उस दिन बुद्ध की निर्वाण-प्राप्ति के २५६ वर्ष बीत चुके थे।
इतिहास-प्रसिद्ध राजा अशोक का राज्याभिषेक ई० पूर्व २६६ में हमा, इससे सभी इतिहासज्ञ सहमत हैं। अपने राज्याभिषेक के ८ वर्ष पश्चात अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त को। कलिंग के युद्ध में हए भीषण नरसंहार को देख कर अशोक को युद्ध से बड़ी घृणा हो गई और वह बौद्ध धर्मानुयायी बन गया । अशोक ने उपर्युक्त १ सं० के शिलालेख में यह स्वीकार किया है कि बौद्ध बनने के २३ वर्ष पश्चात तक वह कोई अधिक उद्योग नहीं कर सका । उसके एक वर्ष पश्चात् वह संघ में पाया।
संघ उपेत होने के पश्चात अशोक ने अपनी और अपने राज्य की पूरी शक्ति बौद्ध धर्म के प्रचार व प्रसार में लगादी। उसने भारत और भारत के बाहर के राज्यों से बौद्ध धर्म की उन्नति के लिए सन्धियाँ की । बौद्ध संघ को काफी अंशों में अभ्यन्नति करने और अपनी महान धार्मिक उपलब्धियों के पश्चात् उसने स्थान-स्थान पर अपनी धार्मिक आज्ञाओं को शिलाओं पर टंकित करवाया। अनुमान लगाया जा सकता है कि इन कार्यों में कम से कम नौ-दस वर्ष तो अवश्य लगे ही होंगे। तो इस तरह उपर्युक्त शिलालेख अपने राज्याभिषेक से बीसवें वर्ष में अर्थात् ई० सन से २४६ वर्ष पूर्व तैयार करवाये होंगे, जिस दिन कि बुद्ध का निर्वाण हुए २५६ वर्ष बीत चुके थे।
इस प्रकार के अनमान और कल्पना के बल पर बद्ध का निर्वाण ई० सन । ५०५ में होना पाया जाता है। .
यह अनमान प्रमाण वायपुराण में उल्लिखित प्रद्योत के राज्यकाल के आधार पर प्रमाणित बुद्ध के निर्वाणकाल का समर्थन करता है। इस प्रकार तीन बड़ी धार्मिक परम्परामों में उल्लिखित विभिन्न तथ्यों के आधार पर प्रमारिणत एवं प्रशोक के शिलालेखों से समथित होने के कारण बुद्ध का निर्वाण ई० सन् पूर्व ५०५ ही प्रामाणिक ठहरता है।
उक्त तीनों परम्पराओं के प्रामाणिक धार्मिक ग्रन्थों में प्रद्योत को यद्धप्रिय और उग्र स्वभाव वाला बताया है, यह उल्लेखनीय समानता है । प्रद्योत के जन्म के साथ महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ और उसके देहावसान के दिन भगवान् महावीर का निर्वाण हुमा, यह कितना अद्भुत संयोग है, जिसने प्रद्योत को एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक राजा के रूप में भारत के इतिहास में अमर बना दिया है।
इन सब अकाट्य ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर असंदिग्ध एवं प्रामाणिक रूप से यह कहा जा सकता है कि भगवान महावीर का निर्वाण ई० सन् पूर्व ५२७ में और बुद्ध का निर्वाण ई० सन् पूर्व ५०५ में हुमा।
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